जेनेवा, 9 अप्रैल | संयुक्त राष्ट्र के महासचिव बान की-मून ने शुक्रवार को कहा कि दुनियाभर में हिंसक चरमपंथ के सर्वाधिक शिकार मुसलमान हैं। चरमपंथियों का उद्देश्य ‘हमें आपस में लड़ाना है, लेकिन हमारी एकता उनकी दिवालिया रणनीति को सफल नहीं होने देगी।’ उन्होंने जनवरी माह में संयुक्त राष्ट्र महासभा में प्रस्तुत अपनी कार्य योजना का भी उल्लेख किया और कहा कि इसमें ठोस अनुशंसाएं हैं, जो हिंसक चरमपंथ को हराने की वैश्विक साझेदारी का आधार बन सकते हैं।
बान ने कहा कि हिंसक चरमपंथी घटनाएं आतंकवाद की पोषक होती हैं, जिसकी अनुमति कोई धर्म, क्षेत्र और जातीय समूह नहीं देता।
‘हिंसक चरमपंथ की रोकथाम- बढ़ते कदम’ पर जेनेवा सम्मेलन को संबोधित करते हुए संयुक्त राष्ट्र महासचिव ने जोर देते हुए कहा, “हमें यह भी मानना होगा कि आज दुनिया में हिंसक चरमपंथ के सर्वाधिक शिकार मुसलमान हैं।”
बान ने कहा, “हिंसक चरमपंथ समुदायों को आपस में बांटना चाहता है। उसका मुख्य लक्ष्य भय फैलाना है। लेकिन हमारी एकता और यह सम्मेलन अंतत: उसकी इस खोखली व दिवालिया रणनीति को विफल कर देगी।”
संयुक्त राष्ट्र प्रमुख ने कहा कि हिंसक चरमपंथ संयुक्त राष्ट्र चार्टर और मानवाधिकरों की सार्वभौम घोषणा के लिए सीधा खतरा है। यह शांति और सुरक्षा बनाए रखने, दूरगामी विकास, आवश्यक मानवीय सहायता और मानवाधिकारों के सम्मान को बढ़ावा देने के लिए सामूहिक प्रयासों को नजअंदाज करता है।
बान ने उम्मीद जाहिर की कि इस चर्चा से जून में होने वाली संयुक्त राष्ट्र महासभा की बैठक में एकता के लिए मजबूत सहमति बनेगी।(आईएएनएस)
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