नई दिल्ली, 17 सितम्बर | चालू वित्त वर्ष में सरकारी बैंकों का मुनाफा कुल मिलाकर 35,000 करोड़ रुपये रहा है, लेकिन बुरे कर्जो के कारण उनकी कमाई घटकर महज 222 करोड़ रुपये रह गई है। केंद्रीय वित्तमंत्री अरुण जेटली ने शुक्रवार को यह बात कही।
जेटली ने सरकारी बैंकों और वित्तीय संस्थानों के प्रमुखों के साथ समीक्षा बैठक के बाद कहा, “पीएसबी (सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों) ने सामूहिक रूप से इस साल 34,967 करोड़ रुपये का परिचालन लाभ कमाया, लेकिन अन्य कारणों के अलावा बुरे कर्जो के लिए प्रावधानीकरण की अनुमति के बाद उनका मुनाफा घटकर 222 करोड़ रुपये रह गया।”
कई सरकारी बैंकों ने 30 जून को खत्म हुई तिमाही में तगड़े नुकसान की जानकारी दी है। इसका कारण भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) द्वारा बैंकों को अपनी संपत्तियों की गुणवत्ता की समीक्षा का आदेश देने के बाद उनकी गैर निष्पादित परिसंपत्तियों (फंसे हुए कर्जे) का प्रावधानीकरण है।
इस बारे में जेटली ने कहा कि इस्पात और अवसंरचना क्षेत्र को दिए गए कर्ज ही फंसे हुए हैं, जिसके कारण यह स्थिति आई है।
मंत्री ने कहा, “बैंकों की जो हालत है, उसका जिम्मेदार इस्पात और अवसंरचना क्षेत्र हैं। हालांकि इस्पात पर न्यूनतम आयात शुल्क लगाने से बड़ी इस्पात कंपनियों की हालत कुछ सुधरी है।”
जेटली ने कहा कि लंबे समय से कर्ज की अदायगी नहीं करनेवाली कुछ बड़ी कंपनियों ने अब अपने उधार का ब्याज चुकाना शुरू कर दिया है। उन्होंने कहा, “जब तक इन कर्जो के ब्याज की अदायगी होती है, तब तक बैंक की बैलेंस शीट में ये फंसे हुए कर्ज गैर निष्पादित श्रेणी में रहेंगे।”
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