नई दिल्ली, 6 मई | अगस्ता वेस्टलैंड रिश्वतखोरी मामले में रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने शुक्रवार को कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि अब यह स्पष्ट हो गया है कि रिश्वतखोरी का पैसा आखिर गया किधर। पर्रिकर ने कहा, “चाहे त्यागी हों या खेतान, दोनों बस प्यादे हैं। इन्होंने सिर्फ बहती गंगा में हाथ धोने का काम किया है। बहती गंगा कहां जा रही है, यह ढूंढने के लिए मैंने प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) से कहा है।”
लोकसभा में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सांसद अनुराग ठाकुर द्वारा मामला उठाए जाने के बाद रक्षा मंत्री ने कहा कि 3,600 करोड़ रुपये के हेलीकॉप्टर घोटाले में भारतीय वायु सेना के पूर्व असिस्टेंट चीफ ऑफ एयर स्टाफ (योजना) एन. वी. त्यागी तथा वकील गौतम खेतान तो बस प्यादे हैं।
अगस्ता वेस्टलैंड सौदे में इटली की एक अदालत द्वारा कथित धांधली के हालिया खुलासे पर भाजपा सांसद अनुराग ठाकुर ने मुद्दे को ध्यानाकर्षण प्रस्ताव के माध्यम से लोकसभा में उठाया।
किसी का नाम लिए बिना पर्रिकर ने कांग्रेस पर चुटकी लेते हुए कहा, “कल राज्यसभा में यह स्पष्ट हो गया कि गंगा किधर बह रही है। उनके गले में खुजली हो रही थी। गंगा कहां जा रही है, उनको मालूम है।”
रक्षा मंत्री ने कहा कि संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) की पिछली सरकार ने अगस्ता वेस्टलैंड सौदे को अंजाम देने के लिए धरती-आसमान एक कर दिया था।
उन्होंने कहा, “उन्होंने हर तरफ से कोशिश की। लेकिन, जब मामला प्रकाश में आ गया, तो उन्होंने कंपनी के खिलाफ कार्रवाई करना भी जरूरी नहीं समझा।”
पर्रिकर ने कहा कि पिछली सरकार द्वारा सौदे के खिलाफ की गई कार्रवाई परिस्थितियों की उपज थी और मामले की जांच तब तक शुरू नहीं की गई, जब तक इसे दरकिनार करना मुश्किल नहीं हो गया।
पर्रिकर ने कहा, “सौदे में खरीद की प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया और बेस प्राइस (आधार मूल्य) में भी दोष था। संप्रग सरकार को फरवरी 2012 में ही घोटाले का पता चल गया था, लेकिन इसके बावजूद दिसंबर में तीन हेलीकॉप्टरों को मंगाया गया। केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने मार्च 2013 में मामले में प्राथमिकी दर्ज की, लेकिन दिसंबर तक ईडी को प्राथमिकी की प्रति मुहैया नहीं कराई गई।”
उन्होंने कहा कि ईडी ने जुलाई 2014 में मामले का तब संज्ञान लिया, जब राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) की सरकार सत्ता में आई।
रक्षा मंत्री ने यह भी कहा कि मिलान अदालत के दस्तावेज इटालियन भाषा में हैं और उनका अनुवाद करना आसान नहीं है।
उन्होंने कहा, “दस्तावेज लगभग 1.21 लाख पन्नों का है। इनमें से 42 हजार अंग्रेजी तथा 57 हजार पन्ने हिंदी भाषा में है। बाकी पन्नों का अनुवाद करना आसान नहीं है। मुझे भी यही परेशानी पेश आ रही है।”
(आईएएनएस)
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