नई दिल्ली, 1 मार्च। पूर्व गृहमंत्री पी. चिदंबरम पर इशरत जहां मामले में शीर्ष अदालत और गुजरात उच्च न्यायालय में झूठी गवाही देने और इन्हें गुमराह करने का आरोप लगाते हुए अदालत से स्वत: उनके खिलाफ अवमानना की कार्रवाई करने की मांग की जनहित याचिका (पीआईएल) पर सर्वोच्च न्यायालय सुनवाई करेगा।
गौरतलब है कि इशरत जहां को गुजरात पुलिस ने 2005 में एक ‘मुठभेड़’ में मार गिराया था। इशरत पर आतंकवादी संगठन लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) की सदस्य होने का आरोप है।
सर्वोच्च न्यायालय के प्रधान न्यायाधीश टी.एस. ठाकुर और न्यायमूर्ति उदय उमेश ललित की पीठ ने याचिकाकर्ता अधिवक्ता एम.एल. शर्मा से पूछा कि क्या आपने याचिका दााखिल की है। याचिका को सामान्य प्रक्रिया के तहत सूचीबद्ध होने दीजिए।
शर्मा ने पाकिस्तानी-अमेरिकी आतंकवादी डेविड कोलमैन हेडली की गवाही के आधार पर अपनी जनहित याचिका में कहा कि इशरत जहां एलईटी की सदस्य थी। उन्होंने इशरत जहां की हत्या के आरोप में मुकदमा झेलने वाले गुजरात पुलिस के अधिकारियों के लिए ‘उचित मुआवजे’ की भी मांग की।
जनहित याचिका में मांग की गई है कि इशरत जहां मामले में गुजरात पुलिस के अधिकारियों और अन्य के खिलाफ की गई सभी आपराधिक कार्रवाई व अन्य कार्रवाई को असंवैधानिक घोषित किया जाए।
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