सियोल, 24 जून | परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह (एनएसजी) का सदस्य बनने की भारत की कोशिशों पर चीन के अड़ियल रवैये के कारण पानी फिर गया। एक शीर्ष अधिकारी ने शुक्रवार को कहा कि एनएसजी के 48 में से अधिकांश सदस्य देशों ने सदस्यता के लिए भारत के आवेदन का समर्थन किया। इससे पूर्व प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग से भारत के आवेदन का मूल्यांकन ‘योग्यता’ के आधार पर करने का आग्रह किया था।
फोटो: शंघाई कॉरपोरेशन ऑर्गेनाइजेशन (एससीओ) सम्मेलन में बोलते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी।
चीन का कहना है कि भारत ने परमाणु अप्रसार संधि पर हस्ताक्षर नहीं किया है, इसलिए उसे एनएसजी की सदस्यता नहीं मिलनी चाहिए।
वहीं, अर्जेटीना और दक्षिण कोरिया के साथ कई प्रमुख सदस्य देश जैसे अमेरिका, ब्रिटेन, इटली, मैक्सिको, स्विटरलैंड और रूस भारत की एनएसजी सदस्यता का समर्थन किया।
चीन भारत के एनएसजी में प्रवेश का विरोध कर रहा है। यह संस्था ही वैश्विक परमाणु व्यापार और प्रौद्योगिकी को नियंत्रित करती है।
चीन ने जोर दिया है कि अगर भारत को कोई छूट दी जाती है, तो वही छूट पाकिस्तान को भी दी जानी चाहिए, जबकि पाकिस्तान का परमाणु अप्रसार को लेकर कथित रूप से बुरा रिकॉर्ड रहा है। कहा जाता है कि उसने लीबिया, ईरान और उत्तर कोरिया को परमाणु हथियार प्रौद्योगिकी बेची थी।
उज्बेकिस्तान की राजधानी ताशकंद में हुए शंघाई कॉरपोरेशन ऑर्गेनाइजेशन (एससीओ) सम्मेलन से इतर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मुलाकात कर चीन से गुजारिश की थी कि वह भारत की एनएसजी सदस्यता का मूल्यांकन ‘योग्यता’ के आधार पर करें। –आईएएनएस
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