नागपुर, 25 अक्टूबर। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत ने विजयादशमी उत्सव के अवसर पर नागपुर स्थित संघ मुख्यालय से संघ के कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा कि चीन को रोकने के लिए भारत को पड़ोसी देशों के साथ अपने संबंधों को मजबूत करना चाहिए।
पाकिस्तान का नाम लिए बिना उन्होंने कहा कि पड़ोसी देश ब्रह्मदेश है, श्रीलंका है, बांग्लादेश है, नेपाल है यह केवल हमारे पड़ोसी थोड़े ही यह तो हजारों वर्षों से हमारे साथ हैं, हमारी प्रकृति वाले और हमारे स्वभाव वाले भी हैं।
उन्होंने स्पष्ट शब्दों में सरकार का नाम लिए बिना कहा कि इन देशों के साथ अपनेको जल्दी जोड़ लेना चाहिए। उन्होंने कहा कि मतभेद तो होते ही हैं, विवाद के विषय भी होते हैं।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक भागवत ने कहा कि कोरोना महामारी को लेकर चीन के बारे में संदिग्धता है लेकिन चीन ने इस कलावधि में अपने और सामरिक बल के गर्व में हमारी सीमाओं का जो अतिक्रमण किया और कर रहा है, केवल हमारे साथ नहीं सारी दुनिया के साथ वह तो सारी दुनिया के सामने स्पष्ट है। इसके पहले भी आया है उसका स्वभाव विस्तारवादी है।
उन्होंने कहा कि चीन ने ताइवान के साथ, वियतनाम के साथ, अमेरिका के साथ, जापान के साथ भारत के साथ झगड़ा मोल लिया उसके कुछ अपने कारण होंगे लेकिन एक अंतर है इस बार कि भारत ने जो प्रतिक्रिया दी उसके कारण वह सहम गया, ठिठक गया, इतना धक्का तो उसको मिला। इसके चलते दुनिया के बाकी देशों ने फिर चीन को डांटना शुरू किया है, उसके सामने खड़ा होना शुरू किया है। इसलिए हमको अधिक सजग रहने की आवश्यकता है।
भागवत ने साफ शब्दों में कहा कि चीन के संदर्भ में भारत को सतत सावधानी, सजगता औरसामरिक तैयारी जरूरी है।
चीन को रोकने के लिए उन्होंने दोहराया कि अंतरराष्ट्रीय राजनीति में और पड़ोसी देशों के साथ अपने संबंधों में हमको मजबूती रखनी पड़ेगी और दूसरा उपाय नहीं है, तभी हम चाइना को रोक सकते हैं।
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