चैम्पियंस ट्रॉफी में भारत को मिला पहला रजत : मोदी ने बधाई दी

लंदन, 18 जून| आस्ट्रेलिया ने शूटआउट में भारत को 3-1 से हराकर शुक्रवार देर रात चैम्पियंस ट्रॉफी-2016 का खिताब जीत लिया। यह आस्ट्रेलिया का 14वां खिताब है जबकि भारत को पहली बार इस प्रतियोगिता में रजत पदक मिला है। एक दिन पहले पूल मैच में आस्ट्रेलिया के हाथों 2-4 से हारने वाली भारतीय टीम ने क्वीन एलिजाबेथ ओलम्पिक हॉकी सेंटर में बेहतरीन खेल दिखाया और विश्व चैम्पियन आस्ट्रेलिया को निर्धारित समय तक एक भी गोल नहीं करने दिया।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को भारतीय पुरुष हॉकी टीम को चैम्पियंस हॉकी ट्रॉफी में रजत पदक जीतने पर बधाई दी। मोदी ने ट्वीट किया, “हमारी हॉकी टीम को चैम्पियंस ट्रॉफी फाइनल में बेहतरीन प्रदर्शन के लिए बधाई। उनका प्रयास शानदार रहा। हमें अपनी टीम पर गर्व है।”

क्वीन एलिजाबेथ ओलम्पिक हॉकी सेंटर में शुक्रवार को हुए फाइनल मैच में पेनल्टी शूटआउट में भारत को आस्ट्रेलिया के हाथों 1-3 से हार का सामना करना पड़ा। हालांकि, भारत ने इस प्रतियोगिता में पहली बार रजत पदक जीता हैं।

अंतिम पूल मैच में आस्ट्रेलिया ने भारत के खिलाफ बेहद आक्रामक खेल दिखाते हुए शुरुआती 15 मिनट में ही दो गोल कर दिए थे लेकिन भारत ने तीसरे और चौथे क्वार्टर में अच्छा खेल दिखाया था।

भारत ने शुक्रवार को भी खेल का वही स्तर जारी रखा और आस्ट्रेलिया को गोल करने का एक भी मौका प्रदान नहीं किया। इस दौरान आस्ट्रेलिया ने एक पेनाल्टी स्ट्रोक भी मिस किया।

यह अलग बात है कि आस्ट्रेलियाई रक्षापंक्ति ने उसे भी गोल करने का मौका नहीं दिया। भारत ने तीसरे और चौथे क्वार्टर में अपना वर्चस्व कायम रखते हुए आस्ट्रे्लिया को खूब छकाया।

निर्धारित समय में एक भी गोल नहीं होने पर मैच अतिरिक्त समय तक खिंचा लेकिन उसमें भी गोल नहीं हुए। इसके बाद मैच का फैसला शूटआउट से होना निर्धारित हुआ।

शूटआउट में भारत की ओर से सिर्फ हरमनप्रीत सिंह गोल कर सके जबकि आस्ट्रेलिया की ओर से डेनियल बील, साइनमन ओर्चाड और एरान जालेवस्की ने गोल किए।

इस मैच के असल हीरो आस्ट्रेलियाई गोलकीपर टेलर लोवेल रहे, जिन्होंने भारत को शूटआउट में सिर्फ एक गोल करने का मौका दिया।

भारत का दुर्भाग्य रहा कि उसके लिए एसवी सुनील और एस. उथप्पा जैसे अनुभवी खिलाड़ी शूटआउट में गोल नहीं कर सके। इन दोनों के अलावा सुरेंद्र कुमार भी गोल करने से चूके।

भारत ने अब तक इस प्रतिष्ठित आयोजन का फाइनल नहीं खेला था। साल 1982 में भारत ने कांस्य पदक जीता था। तीसरे स्थान के लिए हुए मुकाबले में उसने पाकिस्तान को हराया था। भारत सात बार चौथे स्थान पर रहा है। भुवनेश्वर में आयोजित बीते संस्करण में भी भारत चौथे स्थान पर रहा था।

साल 1978 में शुरु हुए इस टूर्नामेंट में आस्ट्रेलिया का वर्चस्व रहा है। उसने यह खिताब 1983 के बाद से कुल 14 बार जीते हैं। इसके अलावा वह 10 बार उपविजेता रहा है। पांच मौकों पर इस टीम ने कांस्य पदक भी जीते हैं।

बहरहाल, शुक्रवार को ही जर्मनी ने ब्रिटेन को 1-0 से हराकर कांस्य पदक जीता। जर्मनी के लिए मैच का एकमात्र गोल मार्को मिल्टकाउ ने किया। इसी तरह पांचवें और छठे स्थान के लिए हुए मुकाबले में बेल्जियम ने दक्षिण कोरिया को हराया।

भारत के हरमनप्रीत सिंह को सबसे अच्छा जूनियर खिलाड़ी चुना गया। जर्मनी के तोबाएस हाउके टूर्नामेंट के श्रेष्ठ खिलाड़ी बने जबकि ब्रिटेन के जार्ज पिनर को सबसे अच्छा गोलकीपर चुना गया।