छत्तीसगढ़: मतरिंगा वासियों के लिए वरदान बनी सड़क

रायपुर, 22 जनवरी। सड़क अपने साथ सुविधाएं और विकास ले कर आती हैं। मतरिंगा वासियों के लिए भी अब ये सच साबित हो रहा है। सरगुजा जिला मुख्यालय से करीब 80 किलोमीटर दूर उदयपुर जनपद पंचायत के सुदूर गांव मतरिंगा, सितकालो और केदमा के लोगों को जिला मुख्यालय पहुंचने के लिए लगभग 44 किलोमीटर के पगडंडी मार्ग से पैदल सफर करना पड़ता था।

अब प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत बिलासपुर धनवार सड़क से मतरिंगा तक 44.50 किलोमीटर लम्बी सड़क बन जाने से इस क्षेत्र के करीब 12 हजार लोगों के लिए यह सड़क वरदान बन गई है। सड़क के बन जाने से न सिर्फ लोगों को आवागमन की सुविधा मिली है बल्कि विकास के कई रास्ते खुल रहे हैं।

सरगुजा जिले के उदयपुर जनपद पंचायत की यह सबसे लंबी सड़क है जिसका निर्माण प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत किया गया है। योजना के तहत वर्ष 2007-08 में बिलासपुर धनवार सड़क से मतरिंगा तक 44.50 किलोमीटर सड़क निर्माण के लिए 18 करोड़ 89 लाख 50 हजार रूपए स्वीकृत किये गये थे जिससे 30 जून 2014 तक इस सड़क का निर्माण कार्य परा कर लिया गया।

इस सड़क की 29 किलोमीटर लंबी 8 लिंक रोड उपकारा पारा, महेशपुर, लक्ष्मणगढ़, मानपुर, विछलघाटी, कुमदेवा, भकुरमा एवं मरैया का निर्माण पूरा कर लिया गया है। यहां पहले पगडंडी मार्ग था जिससे ग्राम वासियों को 44.50 किलोमीटर का लंबा रास्ता पैदल तय करने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता था।

इस सड़क के बन जाने से पहुंचविहीन बसाहटों मतरिंगा, सितकालो, केदमा, कुदर बसवार, मरेया, जजगी, कुंडेली के लोग मुख्यधारा से सीधे जुड़ गये हैं, जो उनके लिए वरदान साबित हो रहा है। इन सड़कों के द्वारा 500 से 900 तक जनसंख्याा वाली दो बसाहटों तथा 250 से 499 तक जनसंख्या वाली 3 बसाहटों को मुख्य सड़क से जोड़ा गया है, इससे लगभग 11 हजार 789 लोग लाभान्वित हुए हैं।

मतरिंगा के निवासियों ने बताया कि पहले किसी व्यक्ति के बीमार होने पर उसे इलाज के लिए उदयपुर या अम्बिकापुर के चिकित्सालय ले जाने में सड़क नहीं होने के कारण बड़ी परेशानी होती थी। मतरिंगा से बिलासपुर धनवार तक सड़क बन जाने से अब यह क्षेत्र मुख्य सड़क से जुड़ गया है।

उन्होंने बताया कि मतरिंगा क्षेत्र के लोग सड़क बन जाने से बहुत खुश हैं। अब उन्हें जनपद पंचायत मुख्यालय और जिला मुख्यालय आने जाने में बहुत सुविधा हो रही है। इसके साथ ही बच्चों को स्कूल आने जाने में होने वाली दिक्कत भी कम हो गई है। कृषि उपज को मंडी ले जाने में भी सहूलियत हो रही है।