छत्तीसगढ़ में हुआ ‘रमन के गोठ’ का रेडियो प्रसारण

रायपुर, 10 जनवरी। छत्तीसगढ़ में आकाशवाणी से आज प्रसारित मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह की मासिक रेडियो वार्ता ’रमन के गोठ’ की पांचवीं कड़ी में कुपोषित बच्चों और कुपोषित गर्भवती माताओं और बहनों के स्वास्थ्य और प्रदेश के सूखा पीड़ित किसानों के प्रति उनकी गहरी चिन्ता और संवेदनाओं की झलक मिली।

डॉ. सिंह ने बच्चों और महिलाओं को कुपोषण से मुक्त करने और सूखा प्रभावित किसानों को राहत पहुंचाने के लिए राज्य सरकार द्वारा किए जा रहे उपायों पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने किसानों का हौसला बढ़ाते हुए उनसे कहा कि जीवन में उतार-चढ़ाव, सुख-दुःख तो आते ही रहते हैं, लेकिन ऐसे क्षणों में हमें हिम्मत से काम लेना होगा। मैं और मेरी पूरी सरकार आपके साथ खड़ी है। सूखे जैसी प्राकृतिक आपदा में भी घर-परिवार में  सामाजिक-मांगलिक कार्यों को नहीं रोका जा सकता। इसे ध्यान में रखकर डॉ. सिंह  ने कहा- सूखा प्रभावित किसान भाईयों की विवाह योग्य बेटियों के हाथ पीले करने के मांगलिक कार्य के लिए मुख्यमंत्री कन्या विवाह योजना के तहत अब तक दी जा रही 15 हजार रूपए की सहायता को दोगुना बढ़ाकर 30 हजार करने का निर्णय हमने लिया है।

डॉ. सिंह ने नववर्ष की शुभकामनाओं सहित प्रदेशवासियों को इस महीने में मनाए जाने वाले छत्तीसगढ़ के पारंपरिक त्यौहार ’छेर-छेरा पुन्नी’ की बधाई दी, वहीं मकर संक्रांति, गणतंत्र दिवस, स्वामी विवेकानंद की जयंती (राष्ट्रीय युवा दिवस) के लिए भी जनता के प्रति अपनी अग्रिम शुभेच्छा प्रकट की। मुख्यमंत्री विगत चार कड़ियों में हिन्दी और छत्तीसगढ़ी मिश्रित शैली में रेडियो से जनता से अपना संदेश दे रहे थे, लेकिन इस बार उन्होंने श्रोताओं के विशेष अनुरोध पर अपने रेडियो प्रसारण के प्रारंभिक अंशों में छत्तीसगढ़ी के साथ-साथ बस्तर अंचल की हल्बी बोली और सरगुजा अंचल की सरगुजिहा बोली में भी लोगों को सम्बोधित किया। इस बार भी लोगों ने जगह-जगह मुख्यमंत्री की रेडियो वार्ता को दिलचस्पी से सुना।

जनसम्पर्क विभाग द्वारा प्रायोजित यह रेडियो कार्यक्रम आकाशवाणी के रायपुर केन्द्र से प्रसारित किया गया। प्रदेश में स्थित सभी आकाशवाणी केन्द्रों ने इसे रिले किया। मुख्यमंत्री  ने ‘रमन के गोठ’ की पांचवी कड़ी में कहा कि सड़क, रेलमार्ग, पुल-पुलिया, स्कूल, कॉलेज और अस्पताल जैसी अधोसंरचनाओं के निर्माण की जितनी जरूरत है, उतनी ही, बल्कि उससे ज्यादा जरूरत नई पीढ़ी के निर्माण की भी है। डॉ. सिंह ने कहा कि शिक्षा और स्वास्थ्य के बल पर ही नई पीढ़ी का निर्माण होता है। इसी कड़ी में मुख्यमंत्री ने कुपोषण मुक्ति के लिए राज्य सरकार के प्रयासों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि आंगनबाड़ी सेवाओं को और अधिक बेहतर बनाने के लिए 04 जनवरी से प्रदेश व्यापी आंगनबाड़ी गुणवत्ता अभियान शुरू हो गया है, जो 13 जनवरी तक चलेगा। उन्होंने इस अभियान में सभी लोगों से सक्रिय सहयोग का आव्हान किया।

डॉ. सिंह ने कहा कि राज्य में विगत दस वर्ष में आंगनबाड़ी केन्द्रों की संख्या 21 हजार से बढ़कर 50 हजार हो गयी है। इन केन्द्रों में पूरक पोषण आहार से प्रतिदिन लाभान्वित हो रहे बच्चों और महिलाओं की संख्या 13 लाख से बढ़कर 25 लाख हो गयी है। इसके फलस्वरूप प्रदेश में कुपोषण की दर 52 प्रतिशत से घटकर 32 प्रतिशत हो गई है, जबकि इस वर्ष 2016 में इसे और भी घटाकर 25 प्रतिशत तक लाने का लक्ष्य है।  डॉ. रमन सिंह ने प्रदेश के सूखा पीड़ित किसानों को सम्बोधित करते हुए कहा कि 117 तहसीलों में सूखे की स्थिति है, जहां जरूरतमंद लोगों को मनरेगा के तहत 150 दिनों के साथ-साथ 50 अतिरिक्त दिनों का रोजगार देने का निर्णय लिया गया है।  इस प्रकार उन्हें 200 दिनों का रोजगार मिलेगा। प्रदेश भर में मनरेगा के तहत आठ हजार से अधिक ग्राम पंचायतों में रोजगारमूलक कार्य शुरू कर दिए गए हैं, जिनमें दस लाख से ज्यादा ग्रामीणों को रोजगार मिल रहा है। मुख्यमंत्री ने सूखा पीड़ित किसानों को राहत पहुंचाने के लिए राज्य सरकार द्वारा उठाए गए कदमों की भी जानकारी दी।

मुख्यमंत्री  ने बताया कि प्रभावित इलाकों में इस वर्ष किसानों के भू-राजस्व और सिंचाई टैक्स को पूरी तरह माफ कर दिया गया है। राजस्व पुस्तक परिपत्र (आर.बी.सी.) 6-4 के तहत 33 प्रतिशत से ज्यादा फसल हानि वाले असिंचित क्षेत्र के किसानों को 6800 रूपए और सिंचिंत क्षेत्र के किसानों को 13 हजार 500 रूपए प्रति हेक्टेयर की दर से राहत राशि दी जा रही है। मुख्यमंत्री ने बताया-मैंने यह निर्देश जारी किया है कि यह राशि 31 जनवरी तक बांट दी जाए। वर्ष 2015 में खेती के लिए जिन किसानों ने ऋण लिया है, अगर वे ऋण राशि का 75 प्रतिशत 15 मार्च 2016 तक जमा कर देते हैं, तो शेष 25 प्रतिशत ऋण माफ कर दिया जाएगा। जो किसान यह ऋण नहीं पटा पाए हैं, उनके अल्प अवधि ऋणों को ब्याज मुक्त मध्यकालीन ऋणों में परिवर्तित करने की सुविधा भी दी जा रही है। लगभग पांच लाख किसान परिवार को इसका लाभ मिलेगा।

डॉ. सिंह ने यह भी बताया कि 37 प्रतिशत तक आनावारी वाले सूखा प्रभावित गांवों में चालू वर्ष 2015-16 में 30 प्रतिशत, अगले वर्ष 2016-17 में 50 प्रतिशत और वर्ष 2017-18 में 20 प्रतिशत ब्याज मुक्त ऋणों के भुगतान की सुविधा किसानों को दी जा रही है। लगभग 20 हजार हेक्टेयर में मक्का उत्पादन के लिए 400 मीटरिक टन मक्के के बीज (मिनीकिट) किसानों को निःशुल्क दिए जाएंगे। हर जिले में किसान मितान केन्द्र बनाकर उनकी समस्याओं को सुनने और निराकरण की व्यवस्था की गई है। किसान वहां टेलीफोन पर भी अपनी समस्या बता सकते हैं। सभी ग्राम पंचायतों में किसानों की मदद के लिए किसान-संगवारी केन्द्र भी बनाए गए हैं।

मुख्यमंत्री ने राज्य सरकार द्वारा केन्द्र के सहयोग से राजधानी रायपुर में आयोजित किए जा रहे राष्ट्रीय युवा उत्सव 2016 और प्रदेश व्यापी आंगनबाड़ी गुणवत्ता उन्नयन अभियान का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा – नया वर्ष नया संकल्प और नयी दिशा में अग्रसर होने का अवसर होता है। मुझे यह जानकारी देते हुए खुशी हो रही है, कि हमारे प्रदेश मे नव वर्ष की शुरूआत जनवरी माह में दो ऐसे कार्यों से हो रही है, जिसका दूरगामी, सकारात्मक परिणाम आने वाली पीढ़ी पर पड़ेगा। मै इस क्रम में सबसे पहले उल्लेख करना चाहता हॅू, कि आज से दो दिन बाद भारत माता के महान सपूत एवं पथ प्रदर्शक स्वामी विवेकानंद जी की जंयती 12 जनवरी को मनाई जाएगी, जिसे पूरे देश में ‘‘युवा-दिवस’’ के रूप में मनाया जाता है। मुझे यह बताते हुए अत्यंत प्रसन्नता हो रही है, कि भारत सरकार द्वारा घोषित 20वें ‘‘राष्ट्रीय युवा उत्सव’’ का आयोजन रायपुर में 12 से 16 जनवरी, 2016 तक किया जा रहा है। हमारे लिए यह अत्यंत गौरव का विषय है, कि स्वामी विवेकानन्द ने बचपन का दो साल छत्तीसगढ़ मे बिताए थे। माना जाता है कि अपने जन्म और कर्म-स्थल कोलकाता के अलावा किसी भी स्थान पर इतना समय उन्होनें नहीं बिताया, जितना छत्तीसगढ़ में बिताया था। इसलिए ‘‘राष्ट्रीय युवा उत्सव‘‘ के आयोजन की मेजबानी करते हुए हमे विशेष गौरव का बोध हो रहा है। राष्ट्रीय युवा उत्सव में देश भर से लगभग 6 हजार युवा शामिल हो रहे हैं, तथा 18 विभिन्न सांस्कृतिक विधाओं में प्रत्येक राज्य के कलाकार अपनी कला का प्रदर्शन करेंगे।

मुख्यमंत्री ने कहा कि इस आयोजन को ‘‘युवा-कृति’’ का नाम दिया गया है। इस उत्सव का शुभंकर ‘‘राज्य पशु वन भैंसा’’ को बनाया गया है, जो बस्तर के प्रसिद्ध नृत्य की मुद्रा में है। यह बलशाली है, तथा देश के युवाओं को सुदृढ़ शारीरिक सौष्ठव का संदेश देता है, इसके नृत्य की मुद्रा उत्सव का आभास करती है। इस शुभंकर का नाम “संगी“ रखा गया है, जिसका अर्थ है दोस्त, तथा यह अपने नाम के अनुरूप युवाओं के मध्य सौहार्द्र  एवं मैत्री का संदेश देता है। युवक एवं युवतियां नृत्य की मुद्रा में है, जो देश में उल्लास एवं आनंदमय वातावरण का परिचायक है। नृत्य की मुद्रा में आदिम जनजाति क्षेत्र बस्तर का नृत्य है, जोे देश की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत का परिचायक है। मै चाहूंगा कि इस अवसर पर छत्तीसगढ़ की युवा प्रतिभाएं भी आयोजन में अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करें, और अपनी मेहमान-नवाजी से भी हम पूरे देश का दिल जीत लें, ऐसा प्रयास हमारा होना चाहिए।

मुख्यमंत्री ने रेडियो प्रसारण में बताया – आंगनबाड़ी गुणवत्ता उन्नयन अभियान’ अभियान में प्रदेश सरकार के मंत्रियों और जनप्रतिनिधियों सहित जनभागीदारी से आंगनबाड़ी के कार्यों की गुणवत्ता का परीक्षण किया जा रहा है। परीक्षण के बाद सुधार के कदम उठाए जाएंगे। इस अभियान के दौरान ‘आंगनबाड़ी-मित्रों’ और ‘बाल-मित्रों’ द्वारा भी बड़ी भूमिका निभाई जा रही है। कुपोषित बच्चों को स्वेच्छा से गोद लेने हेतु प्रेरित किया जा रहा है। अभियान के दौरान पोषण आहार का वितरण आंगनबाड़ी एवं कुपोषित बच्चों को गोद दिलाने का क्रियान्वयन, रेडी टू ईट यूनिट तथा आंगनबाड़ी केन्द्रों के निरीक्षण और पोषण मेले का आयोजन भी किया जा रहा है। साथ ही संबंधित समुदाय आंगनबाड़ी केन्द्रों व बच्चों के कुपोषण तथा अन्य संबंधित विषयों पर चर्चा भी की  जा रही है।