छत्तीसगढ़ का ‘पानी बचाओ अभियान’ : जन आंदोलन में तब्दील

रायपुर, 15 जून (जनसमा)। भू-जल स्तर में गिरावट की गंभीर चुनौती से निपटने के लिए छत्तीसगढ़ में कई बेहतरीन कार्य हो रहे हैं। छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह के आव्हान पर जमीन के नीचे और ऊपर पानी बचाने के लिए भू-जल संरक्षण और संवर्धन के अभियान राज्य में एक व्यापक जन आंदोलन में तब्दील हो चुका है। इसमें सरकारी प्रयासों के साथ-साथ आम जनता की भागीदारी भी साफ देखी जा रही है। सभी सरकारी भवनों में रेनवाटर हार्वेस्टिंग प्रणाली को अनिवार्य कर दिया गया है। तालाब निर्माण, गहरीकरण और नहरों की मरम्मत के कार्य भी युद्ध स्तर पर चल रहे हैं। मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को इस बार गर्मियों में लोक सुराज अभियान के साथ-साथ जल सुराज अभियान चलाने के भी निर्देश दिए थे। सभी जिलों में वहां के कलेक्टरों के नेतृत्व में संबंधित विभागों द्वारा जनसहयोग से इस दिशा में तेजी से कार्य किए जा रहे हैं।

उत्तरी छत्तीसगढ़ के जशपुर जिले में जिला प्रशासन द्वारा जल सुराज की अवधारणा को साकार करने के लिए ‘जशपुर से जलपुर तक’ अभियान शुरू किया गया है। इसके अंतर्गत जहां पिछले दो माह से श्रमदान से तालाबों की सफाई और गहरीकरण का कार्य हो रहा है, वहीं सरकारी इमारतों में बारिश के पानी को छतों से जमीन के नीचे पहुंचाने के लिए रेनवाटर हार्वेस्टिंग प्रणाली भी अपनायी जा रही है।

कलेक्टर डॉ. प्रियंका शुक्ला ने बताया कि जिले भर की 968 सरकारी इमारतों में रेनवाटर हार्वेस्टिंग संरचनाओं का निर्माण पूरा कर लिया गया है और 446 भवनों में यह कार्य प्रगति पर है।  हैण्डपम्पों के आसपास सोख्ता गड्ढे (सोक पिट) बनाये जा रहे हैं। जिले के मनोरा विकासखंड के सभी 243 सरकारी स्कूलों में रेनवाटर हार्वेस्टिंग प्रणाली की संरचना और सोक पिटों का निर्माण किया जा चुका है। विकासखंड फरसा बहार के 58 ग्राम पंचायत भवनों के साथ-साथ आदिम जाति विकास विभाग द्वारा संचालित 200 छात्रावासों में से 159 में रेनवाटर हार्वेस्टिंग संरचना तैयार की जा चुकी है। सम्पूर्ण जशपुर जिले में 15 हजार हैण्डपम्पों के आस-पास सोख्ता गड्ढे बनाने का लक्ष्य है। अब तक 3253 हैण्डपम्पों के नजदीक इनका निर्माण किया जा चुका है। जिले के पत्थलगांव विकासखंड की दो ग्राम पंचायतों रेड़े और बहना टांगर के ग्रामीणों ने वहां के पंचायत प्रतिनिधियों के साथ मिलकर तालाबों की सफाई के लिए सामूहिक श्रमदान किया। जल संवर्धन के लिए जिले भर में छोटे-बड़े 879 तालाबों की सफाई और उनका गहरीकरण भी किया गया है। इसके अलावा मनरेगा के तहत पूरे जिले में 4986 कार्य मंजूर किए गए हैं। इनमें नहरों की मरम्मत के 28 कार्यों सहित 576 कुओं, 2229 डबरियों, 245 तालाबों के निर्माण, 109 तालाबों के गहरीकरण और 1797 भूमि सुधार के कार्य शामिल हैं। अब तक ढाई हजार से ज्यादा कार्य पूर्ण हो चुके हैं।

इसी कड़ी में बलरामपुर-रामानुजगंज जिले में विगत सिर्फ डेढ़ माह में 400 सरकारी भवनों में रेन वाटर हार्वेस्टिंग संरचना तैयार की जा चुकी है। इनमें विकासखंड बलरामपुर के 72, कुसमी के 59, विकासखंड राजपुर के 57, रामचंद्रपुर के 82, शंकरगढ़ के 49 और वाड्रफनगर के 82 शासकीय भवन शामिल है। जबकि 100 इमारतों में यह कार्य तेजी से किया जा रहा है। कलेक्टर श्री अवनीश शरण के अनुसार जिले के लगभग 100 अन्य भवनों में भी रेनवाटर हार्वेस्टिंग संरचनाओं का निर्माण तेजी से चल रहा है। जिला प्रशासन द्वारा ग्रामीणों को भू-जल संरक्षण और रेनवाटर हार्वेस्टिंग का महत्व समझाने के लिए ग्राम पंचायतों के स्तर पर ग्रामसभाओं और महिला स्वसहायता समूहों की बैठकें भी आयोजित की गई। इसके उत्साहजनक नतीजे मिलने लगे। जिले के ग्रामीण अब ‘गांव का पानी गांव में और खेत का पानी खेत में रोकने के लिए मनरेगा जैसी योजनाओं के तहत बड़ी संख्या में डबरी निर्माण आदि के कार्यों में लगे हुए हैं। (जल ग्रहण वाटर शेड) क्षेत्र प्रबंध मिशन के तहत इसके लिए बड़ी संख्या में बोल्डर चेक, मेड़बंधान, जैसे कार्य भी किए जा रहे हैं। मुंगेली कलेक्टर श्रीमती किरण कौशल के अनुसार जिले में  हैण्डपम्पों के नजदीक लगभग छह हजार हैण्डपम्पों के आसपास सोख्ता गड्ढे बनाये जा चुके हैं। धमतरी जिले में चालू वर्ष 2016-17 में छह हजार हैंडपम्पों के नजदीक सोख्ता गड्ढे (सोकपिट) और 650 नग रिचार्ज पिट बनाने का लक्ष्य तय किया गया है। कलेक्टर श्री भीमसिंह ने बताया कि इसके अंतर्गत अब तक तीन हजार सोख्ता गड्ढे और 300 रिचार्ज पिट बनाए जा चुके हैं। इससे हैण्डपम्पों के जल स्तर में काफी सुधार हुआ है।