रायपुर, 29 जनवरी। भारत की आत्मा गांवों में बसती है। यदि हम देश का विकास करना चाहते हैं, तो हमें गांवों का विकास करना होगा। ग्राम स्वराज और स्वदेशी आंदोलन जैसे विचार राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के हैं। ग्रामीणों को अधिक से अधिक रोजगार देकर उनका जीवन स्तर सुधारने के साथ ही देश की अर्थ व्यवस्था को मजबूत बनाने के लिए भारत सरकार और राज्य सरकारों के विभिन्न विभागों द्वारा अनेक योजनाएं चलायी जा रही है।
इसी कड़ी में सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम मंत्रालय भारत सरकार के प्रशासनिक नियंत्रण में कार्यरत खादी और ग्रामोद्योग आयोग के राज्य कार्यालय रायपुर द्वारा प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों में प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम (पीएमईजीपी) के तहत बेहतर कार्य हो रहे हैं। खादी एवं ग्रामोद्योग आयोग संसद द्वारा सृजित एक विधिविहित संगठन है।
इसका उददेश्य ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के अवसर सृजित कर ग्रामीणों का जीवन स्तर सुधारना, बिक्री योग्य वस्तुओं का उत्पादन कर आर्थिक स्थिति सुधारना और ग्रामीण जनता में आत्मनिर्भरता और सुदृढ़ ग्राम स्वराज की भावना पैदा करना है।
छत्तीसगढ़ में वर्ष 2001 में खादी और ग्रामोद्योग आयोग का राज्य कार्यालय प्रारंभ किया। प्रदेश में आयोग की 15 संस्थाएं कार्यरत है। लगभग चार हजार कत्तीन-बुनकर कार्य कर रहे हैं। प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम के क्रियान्वयन के लिए आयोग को राष्ट्रीय नोडल एजेंसी बनाया गया है।
पीएमईजीपी के तहत चालू वित्तीय वर्ष 2015-16 में दिसम्बर तक पांच हजार 948 लोगों को रोजगार मुहैया कराया जा चुका है। इसके लिए 830 ग्रामोद्योग इकाईयों के लिए 17 करोड़ 56 लाख रूपए की सहायता दी गयी है। पीएमईजीपी के तहत छत्तीगसढ़ में पिछले आठ वर्षों में साढ़े आठ हजार ग्रामोद्योग इकाईयों की स्थापना की गयी है, जिसमें 75 हजार लोगों को रोजगार मिल रहा है।
पीएमईजीपी योजना की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि यह प्रत्येक क्षेत्र, प्रत्येक वर्ग, प्रत्येक शिक्षित-अशिक्षित व्यक्ति और अनेक ग्रामोद्योगों के लिए है। इसके तहत स्वरोजगार हेतु ग्रामोद्योग इकाई लगाने के लिए 35 प्रतिशत तक छूट दिया जाता है। यह कार्य जिलों में खादी ग्रामोद्योग बोर्ड एवं जिला उद्योग केन्द्र द्वारा और राज्य स्तर पर खादी ग्रामो़द्योग आयोग द्वारा किया जा रहा है।
इस योजना की दूसरी बड़ी विशेषता यह है कि इसमें दी जाने वाली छूट (सब्सिडी) की राशि के लिए विभागों में जाने की जरूरत नहीं पड़ती। छूट की राशि सीधे बैंक के माध्यम से हितग्राही के खाते में पहुंच जाती है।
छत्तीसगढ़ में वन, खनिज और कृषि आधारित ग्रामोद्योगों की अपार संभावनाएं है। इनमें लाख उत्पादन, जड़ी-बुड़ी संग्रह प्रशोधन, दोना-पत्तल का निर्माण, लकड़ी के खिलौने एवं सजावटी सामानों का निर्माण, पोहा निर्माण, राइस मिल, फ्लोर मिल, ईंट-गिट्टी एवं भवन निर्माण सामग्री, पत्थर कटिंग एवं पालीशिंग आदि शामिल हैं।
पीएमईजीपी के तहत छत्तीसगढ़ में वर्ष 2014-15 में मार्जिन मनी रूपए बीस करोड़ 45 लाख का भुगतान किया गया। छत्तीसगढ़ में खादी कपड़ों के उत्पादन में वर्ष 2001 की तुलना में 117 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। छत्तीसगढ़ में विशेष रूप से कोसा कपड़ों का उत्पादन होता है। इसमें साड़ी और शर्टिंग मुख्य है। रायगढ़, जांजगीर-चाम्पा, कोरबा, बिलासपुर और बस्तर (जगदलपुर) जिलों में मुख्य रूप से खादी का कार्य हो रहा है।
खादी ग्रामोद्योग आयोग द्वारा चालू वित्तीय वर्ष 2015-16 में दिसम्बर माह तक दो हजार 197 लोगों को रोजगार दिया गया तथा 15 करोड़ 58 लाख रूपए का वस्त्र उत्पादन किया गया। इसमें सूती खादी वस्त्र एक करोड़ 56 लाख रूपए, ऊनी खादी वस्त्र बारह करोड़ सात लाख रूपए, रेश्म खादी वस्त्र एक करोड़ 83 लाख रूपए और पोली वस्त्रों का उत्पादन बारह लाख रूपए शामिल है। खादी ग्रामोद्योग आयोग द्वारा प्रदेश के नक्सल प्रभावित जिलों में जागरूकता शिविरों के माध्यम से लोगों को प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम के तहत स्वरोजार स्थापित करने का प्रयास किया जा रहा है।
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