रायपुर 04 अक्टूबर (जस)। हस्तशिल्पियों को बेहतर बाजार दिलाने के लिए छत्तीसगढ़ सरकार के प्रयास अब रंग ला रहे हैं। राज्य के परम्परागत कारीगरों की कलाकृतियों की बिक्री में लगातार इजाफा हो रहा है। राज्य सरकार के ग्रामोद्योग विभाग के उपक्रम छत्तीसगढ़ हस्तशिल्प विकास बोर्ड द्वारा अपने एम्पोरियमों और विभिन्न प्रदर्शनियों में पिछले वित्तीय वर्ष 2015-16 में प्रदेश के शिल्पकारों की लगभग नौ करोड़ 15 लाख रूपए की कलाकृतियों की बिक्री की गई थी, जो इसके पूर्व के वित्तीय वर्ष 2014-15 की तुलना में दो करोड़ 63 लाख रूपए ज्यादा है। वर्ष 2014-15 में बोर्ड द्वारा 16 एम्पोरियमों और प्रदर्शनियों में छह करोड़ 52 लाख रूपए की कलाकृतियों की बिक्री की गई थी।
हस्तशिल्प विकास बोर्ड के अधिकारियों ने मंगलवार को यहां बताया कि पिछले वर्ष की नौ करोड़ 15 लाख रूपए की बिक्री में से 6.31 करोड़ रुपये के सामान छत्तीसगढ़ सहित देश के प्रमुख शहरों बोर्ड द्वारा आयोजित प्रदर्शनियों में बेचे गए। इसके अलावा 2.84 करोड़ रुपये की कलाकृतियों की बिक्री हस्तशिल्प विकास बोर्ड द्वारा संचालित एम्पोरियमों में हुई। राज्य के लगभग 1350 शिल्पकारों को इसका लाभ मिला। राज्य और देश के बड़े शहरों में छत्तीसगढ़ के पारम्परिक कारीगरों के हाथों से बनी कलाकृतियों की भारी मांग है। हस्तशिल्प विकास बोर्ड की प्रदर्शनियों और उसके एम्पोरियमों में बेची गई कलाकृतियों में बेलमेटल, लौह शिल्प, गोदना, भित्ती चित्र,काष्ठ फर्नीचर, तुम्बा शिल्प, बांस शिल्प आदि विधाओं में निर्मित सामग्री शामिल हैं।
अधिकारियों ने बताया कि छत्तीसगढ़ हस्तशिल्प विकास बोर्ड द्वारा 2015-16 में 19 प्रदर्शनियां विभागीय बजट से और केंद्र सरकार के विकास आयुक्त (हस्तशिल्प) के माध्यम से आयोजित की गईं। गांधी शिल्प बाजार के अंतर्गत इलाहाबाद, रायपुर,बिलासपुर,दुर्ग, भिलाई और गुवाहाटी में इनका आयोजन किया। क्राफ्ट बाजार रायपुर, बिलासपुर, कोलकाता, जयपुर और हैदराबाद में भी प्रदर्शनी लगाई गई। स्थानीय स्तर पर भी रायपुर और भिलाई नगर में प्रदर्शनी लगी। इसके अलावा नई दिल्ली में शिल्पी हाट, रायपुर में जगार-2016, सिरपुर महोत्सव राष्ट्रीय युवा महोत्सव, विश्व हॉकी लीग और स्वदेशी मेला जैसे आयोजनों में भी प्रदेश के शिल्पकारों की कलाकृतियों के प्रति नागरिकों में काफी आकर्षण देखा गया।
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