रायपुर, 18 जुलाई (जनसमा)। क्या आपने कभी ऐसे किसी सरकारी कॉलेज के बारे में सुना है, जहां दाखिले के लिए किसी खास स्कूली शिक्षा का होना जरूरी नहीं है, जहां प्रवेश निःशुल्क है और जहां पांचवी और आठवीं कक्षा फेल युवाओं से लेकर स्नातक उत्तीर्ण 18 वर्ष से 45 वर्ष आयु समूह का कोई भी युवा आसानी से प्रवेश लेकर स्वयं को अपने किसी भी मनपंसद व्यवसाय में हुनरमंद बना सकता है? क्या कोई सोच सकता है कि ऐसे किसी कॉलेज में प्रवेश लेकर आत्म समर्पित नक्सली भी विकास और आत्म निर्भरता की मुख्य धारा से जुड़ने लगेंगे?
छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह के नेतृत्व में छत्तीसगढ़ सरकार ने सभी 27 जिलों में ऐसे कॉलेजों की स्थापना की है, जिनमें प्रवेश के लिए शैक्षणिक योग्यता कोई मायने नहीं रखती। इन्हें आजीविका महाविद्यालय अथवा लाइवलीहुड कॉलेज का नाम दिया गया है, जहां अपनी पसंद के रोजगार मूलक कार्यों का प्रशिक्षण लेने वाले कम पढ़े-लिखे युवाओं को भी ‘कॉलेज’ के विद्यार्थी होने का एहसास हो और वे सम्पूर्ण आत्म विश्वास और स्वाभिमान के साथ अपना प्रशिक्षण पूरा कर सकें।
राज्य परियोजना लाइवलीहुड कॉलेज सोसायटी के अधिकारियों ने रविवार को यहां बताया कि मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह की मंशा के अनुरूप राज्य का पहला लाइवली हुड कॉलेज नक्सल प्रभावित दंतेवाड़ा जिले में अक्टूबर 2012 में शुरू किया गया था। मुख्यमंत्री ने स्वयं इसका शुभारंभ किया था। बेरोजगार युवाओं में इस कॉलेज की लोकप्रियता को देखते हुए सभी 27 जिलों में चरणबद्ध ढंग से इस परियोजना के विस्तार का निर्णय लिया गया। सिर्फ चार वर्ष के भीतर सभी 27 जिलों में ये कॉलेज संचालित होने लगे हैं। अब तक 20 हजार से ज्यादा युवाओं ने इन कॉलेजों में प्रशिक्षण हासिल कर लिया है।
बाजार की मांग के अनुरूप युवाओं को विभिन्न व्यवसायों का अल्पकालीन कौशल प्रशिक्षण इन कॉलेजों में दिया जा रहा है, जिनमें राजमिस्त्री, प्लम्बर, वाहन चालक, सिलाई-बुनाई प्रशिक्षण, इलेक्ट्रिशियन, वेल्डर, सोलर पावर प्लांट सुधारक, ऑफिस मैनेजमेंट, कम्प्यूटर का बेसिक पाठ्यक्रम सहित कई छोटे-छोटे पाठ्यक्रम शामिल हैं। युवाओं को इन कॉलेजों में मुख्यमंत्री कौशल विकास योजना और केन्द्र सरकार की स्किल डेवलपमेंट इनिशियटिव योजना के तहत दिया जा रहा है।
Follow @JansamacharNews