छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह के नेतृत्व में छत्तीसगढ़ में हाथ करघा वस्त्र उद्योग को प्रोत्साहित करने की नीति से प्रदेश में हाथकरघा वस्त्र उद्योग के फलने-फूलने का अच्छा वातावरण निर्मित हुआ है। राज्य सरकार द्वारा दिए जा रहे सहयोग और अच्छी नीति से प्रदेश के हाथ करघा बुनकरों को वर्ष के 365 दिन रोजगार मिल रहा है और प्रदेश में हाथ करघा वस्त्रों का व्यापार बढ़ रहा है।
बुनकर सहकारी समितियों के ऋणों की माफी के छत्तीसगढ़ सरकार के फैसले ने जहां इस उद्योग को नया जीवन प्रदान किया, वहीं शासकीय विभागों को हाथकरघा बुनकारों द्वारा उत्पादित वस्त्रों की आपूर्ति की नीति ने प्रदेश के बुनकरों को वर्ष भर काम उपलब्ध कराने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
राज्य सरकार की नीति के अनुरुप प्रदेश की बुनकर सहकारी समितियों द्वारा स्कूल शिक्षा विभाग, स्वास्थ्य विभाग, पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग सहित विभिन्न विभागों को हाथकरघा वस्त्रों की आपूर्ति की जा रही है। इस नीति के क्रियान्वयन के पहले बुनकर सहकारी समितियां शासकीय विभागों को वर्ष में लगभग 60 लाख रुपए मूल्य के हाथकरघा से बने वस्त्रों की आपूर्ति कर पाती थीं।
इस नीति के अमल से वर्ष 2015 में शासकीय विभागों को 122 करोड़ पांच लाख रुपए मूल्य के हाथ करघा वस्त्रों की आपूर्ति की गयी। इसके लिए बुनकरों को लगभग तीस करोड़ 47 लाख रुपए का बुनाई पारिश्रमिक वितरित किया गया। चालू वित्तीय वर्ष 2015-16 में माह दिसंबर तक शासकीय विभागों को लगभग 150 करोड़ रुपए के वस्त्रों की आपूर्ति की गयी। माह मार्च 2016 तक अनुमान है कि यह आंकड़ा 162 करोड़ रुपए तक पहुंच जाएगा।
प्रदेश में 214 बुनकर सहकारी समितियां कार्यरत हैं। हाथ करघा वस्त्र उद्योग के माध्यम से लगभग 48 हजार बुनकरों को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोजगार मिल रहा है। बुनकर सहकारी समितियों को वस्त्रों की आपूर्ति के आदेश के साथ-साथ 75 प्रतिशत राशि भी उपलब्ध करायी जा रही है। जिससे बुनकरों के पारिश्रमिक भुगतान में दिक्कत नहीं आये। बुनकरों को छत्तीसगढ़ राज्य हाथ करघा विकास एवं विपणन संघ द्वारा कच्चा माल उपलब्ध कराने और तैयार वस्त्रों की खरीदी के लिए वाहन सुविधा भी उपलब्ध करायी जा रही है। प्रदेश में हाथ करघा वस्त्र उद्योग के विकास के लिए राज्य शासन द्वारा अनेक योजनाएं संचालित की जा रही हैं।
मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने 29 फरवरी को राजधानी रायपुर में नेशनल हैण्डूम एक्सपो का शुभारंभ करते हुए छत्तीसगढ़ के युवाओं को हाथ करघा बुनकरी का कौशल प्रशिक्षण दिलाने की घोषणा की है। इस प्रशिक्षण का लाभ परम्परागत बुनकर परिवार के युवाओं के साथ अन्य युवा भी ले सकेंगे। युवाओं को बुनकरी के व्यवसाय में आधुनिकतम तकनीक और डिजाइनिंग का तीन से चार माह का प्रशिक्षण निःशुल्क प्रदान किया जाएगा।
रायपुर में वस्त्र मंत्रालय भारत सरकार और राज्य शासन के सहयोग से छत्तीसगढ़ राज्य हाथ करघा विकास एवं विपणन सहकारी संघ द्वारा आयोजित राष्ट्रीय प्रदर्शनी 13 मार्च तक चलेगी। प्रदर्शनी में छत्तीसगढ़ की 30 बुनकर सहकारी समितियों सहित जम्मू-कश्मीर, उत्तराखण्ड, कर्नाटक, मध्यप्रदेश, आन्ध्रप्रदेश, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल के बुनकर हिस्सा ले रहे हैं।
राष्ट्रीय प्रदर्शनी में छत्तीसगढ़ की कोसा साड़ियां और ड्रेस मटेरियल, जम्मू कश्मीर का पश्मीना शॉल, हरियाणा का गलीचा तथा फर्नीशिंग वस्त्र, उत्तर प्रदेश की बनारसी साड़ियां, पश्चिम बंगाल की काथा और तांत साड़ियां, बिहार का खादी सिल्क, मध्यप्रदेश की चन्देरी साड़िया और आन्ध्र प्रदेश की पोचमपल्ली विशेष आकर्षण का केन्द्र हैं। नेशनल हैण्डलूम एक्सपो में छत्तीसगढ़ के कोसा सिल्क डिजायनर वस्त्रों के फैशन शो ‘वान सृजन’का आयोजन राष्ट्रीय फैशन प्रौद्योगिकी संस्थान नई दिल्ली के सहयोग से किया गया।
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