रायपुर, 17 मई। छत्तीसगढ़ सरकार के महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा संचालित छत्तीसगढ़ महिला कोष की ऋण योजना में पिछले तेरह वर्षों में 29 हजार 866 महिला स्व-सहायता समूहों को कारोबार के लिए 57 करोड़ 66 लाख 10 हजार रूपए ऋण वितरित किया गया। प्रदेश में छत्तीसगढ़ महिला कोष की ऋण योजना वर्ष 2003 से संचालित है।
योजना में महिला समूहों को तीन प्रतिशत वार्षिक साधारण ब्याज दर पर पहली बार में 50 हजार रूपए तक ऋण दिया जाता है। इस ऋण राशि की वापसी पर दूसरी बार दो लाख रूपए तक ऋण देने का प्रावधान है। महिला समूहों से जुड़ी राज्य की महिलाएं महिला कोष की मदद से सिलाई-कढ़ाइर्, बड़ी, पापड़, दलिया, मुरब्बा, छत्तीसगढ़ी व्यंजन, कोसा कृमि पालन, मुर्गीपालन, पशुपालन, मशरूम उत्पादन, लाख की खेती, बांस शिल्प, काष्ठशिल्प, फिनाइल, अगरबत्ती, दोना पत्तल निर्माण, अचार, मसाला निर्माण जैसे आय मूलक गतिविधियों से जुड़ी हुई हैं।
योजना में महिला समूहों को पहली बार दिए ऋण राशि की वसूली 24 किश्तों में और दूसरी बार दिए ऋण की वसूली 36 किश्तों में करने का प्रावधान है। ऋण देने के तीन माह बाद ऋण की वसूली शुरू की जाती है।
महिला एवं बाल विकास विभाग के अधिकारियों ने आज यहां बताया कि छत्तीसगढ़ महिला कोष की ऋण योजना के तहत वर्ष 2003-04 में 679 महिला समूहों को 33 लाख सात हजार रूपए, वर्ष 2004-05 में एक हजार 712 समूहों को 93 लाख तीन हजार, 2005-06 में दो हजार 203 समूहों को एक करोड़ 40 लाख 20 हजार रूपए, वर्ष 2006-07 में दो हजार 504 समूहों को दो करोड़ 35 लाख 26 हजार रूपए, वर्ष 2007-08 में तीन हजार 20 समूहों को तीन करोड़ 26 लाख 14 हजार रूपए, वर्ष 2008-09 में तीन हजार 362 समूहों को तीन करोड़ 97 लाख चार हजार रूपए, वर्ष 2009-10 में दो हजार 612 समूहों को पांच करोड़ 68 लाख 86 हजार रूपए, वर्ष 2010-11 में दो हजार 187 समूहों को पांच करोड़ 22 लाख 85 हजार रूपए, वर्ष 2011-12 में दो हजार 50 समूहों को पांच करोड़ 51 लाख दस हजार रूपए, वर्ष 2012-13 में दो हजार 899 समूहों को छह करोड़ 24 लाख रूपए, वर्ष 2013-14 में एक हजार 705 समूहों को चार करोड़ 87 लाख 25 हजार रूपए, वर्ष 2014-15 में दो हजार 454 महिला समूहों को आठ करोड़ 95 लाख 90 हजार रूपए और वर्ष 2015-16 में मार्च तक दो हजार 479 महिला समूहों को आठ करोड़ 91 लाख चालीस हजार रूपए ऋण वितरित किए गए।
(फाइल फोटो)
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