रायपुर, 26 मई (जनसमा)। छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने कहा है कि छत्तीसगढ़ के रतनजोत की ज्योत को पूरे देश में प्रज्ज्वलित किया जाएगा। इसके लिए राज्य सरकार हर संभव प्रयास कर रही है। छत्तीसगढ़ में प्राकृतिक रूप से इसका उत्पादन सैकड़ों-हजारों वर्षों से हो रहा है। यह बायोफ्यूल के रूप में काफी उपयोगी और पर्यावरण हितैषी भी है। छत्तीसगढ़ इसके उत्पादन में अग्रणी भूमिका निभा रहा है। मुख्यमंत्री ने आज यहां बायोफ्यूल पर एक दिवसीय परामर्श कार्यशाला का शुभारंभ करते हुए मुख्य अतिथि की आसंदी से इस आशय के विचार व्यक्त किए। कार्यशाला का आयोजन छत्तीसगढ़ सरकार के ऊर्जा विभाग के उपक्रम बायोफ्यूल विकास प्राधिकरण द्वारा केन्द्रीय अक्षय ऊर्जा मंत्रालय के सहयोग से किया गया।
शुभारंभ सत्र को सम्बोधित करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि वर्तमान में दुनिया में उपलब्ध पेट्रोलियम के प्राकृतिक भंडार, कोयले के प्राकृतिक भंडार लम्बे समय तक नहीं रहने वाले हैं। तब हमें सौर ऊर्जा तथा बायोफ्यूल ऊर्जा की ओर जाना ही पड़ेगा। डॉ. रमन सिंह ने कहा कि बायोफ्यूल परियोजना को बढ़ावा देने के लिए छत्तीसगढ़ को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में केन्द्र सरकार से भी इसमें सकारात्मक सहयोग का आश्वासन मिला है। निकट भविष्य में इस दिशा में अनुसंधान और विकास की अपार संभावनाओं पर भी काम किया जाएगा। हमारा लक्ष्य राज्य में वर्तमान में उपलब्ध रतनजोत के एक लाख 26 हजार हेक्टेयर के क्षेत्र को और भी विस्तारित करने का है।
कार्यशाला में डॉ. रमन सिंह के समक्ष बायोफ्यूल विकास प्राधिकरण और दो निजी निवेशकों के बीच राज्य में बायो डीजल काम्पलेक्स विकसित करने के लिए दो अलग-अलग समझौता ज्ञापनों (एम.ओ.यू.) पर हस्ताक्षर किए गए। दोनों एम.ओ.यू. चेन्नई की कम्पनी मेसर्स ग्रीन एनर्जी और गौहाटी (असम) की कम्पनी मेसर्स भूमा एनर्जी-आई.आई.टी. के बीच हुए हैं। प्राधिकरण की ओर से कार्यपालन निदेशक एस.के. शुक्ला ने और दोनों कम्पनियों की ओर से उनके प्रतिनिधियों ने हस्ताक्षर किए। इन कम्पनियों के द्वारा कुल 95 करोड़ रूपए का पूंजी निवेश राज्य में किया जाएगा। बायोडीजल काम्पलेक्स में रतनजोत और अन्य अखाद्य तेलों से बनने वाले बायो डीजल के कचरे का उपयोग जैविक खाद, जैवकि किट नाशक, कच्चे ग्लिसरीन आदि के उत्पादन में भी किया जा सकेगा।
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