चिन्मय देहुरी===
भुवनेश्वर, 21 अप्रैल | भगवान जगन्नाथ भारत के भगवानों में सबसे अमीर जमींदार हैं जिनके पास कुल 60,654 एकड़ जमीन है। इसमें से 395 एकड़ जमीन की बिक्री की जा रही है ताकि 12वीं सदी के इस मंदिर के रखरखाव के लिए भगवान के नाम पर 1,000 करोड़ रुपये का कोष बनाया जा सके।
इनमें से 60,259 एकड़ जमीन जगन्नाथ मंदिर और उड़ीसा के 23 जिलों में है और बाकी के 395 एकड़ जमीन आंध्रप्रदेश, बिहार, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और पश्चिम बंगाल में है। जिसमें से बंगाल में सबसे ज्यादा 322 एकड़ जमीन मंदिर के स्वामित्व में है।
श्री जगन्नाथ मंदिर प्रबंधन (एसजेटीए) के प्रमुख सुरेश मोहपात्रा ने आईएएनएस को बताया, “राज्य सरकार राज्य के बाहर की मंदिर की जमीन को बेचने की प्रक्रिया में है।”
इसके अलावा सरकार ने उत्तराखंड के नैनीताल के जिलाधिकारी को मंदिर के स्वामित्व वाली 52 साल पुरानी इमारत के बाजार मूल्य चुकाने को कहा है। इस दोमंजिला इमारत के मालिक ने अपना ग्राउंड फ्लोर 26 अप्रैल 1964 को मंदिर को दान कर दिया था, जिसमें किराए पर डाकघर चलाया जा रहा है।
लेकिन राज्य सरकार के पास 23 जिलों के 111 तहसील में फैले 27,331 एकड़ जमीन का कोई पट्टा या कागजात नहीं है।
राज्य के कानून मंत्री अरुण साहू ने विधानसभा में हाल ही में कहा, “एसजेटीए ने जगन्नाथ की 60,259 एकड़ जमीन को चिन्हित किया है। जिसमें से राज्य के पास केवल 32,927 एकड़ का ही रिकार्ड है। बाकी के 27,331 एकड़ जमीन का कोई रिकार्ड नहीं है।”
उन्होंने बताया कि श्री जगन्नाथ टेंपल एक्ट 1955 के तहत जमीन कब्जा करने वालों के खिलाफ 340 मामले दर्ज किए गए हैं।
वहीं, सरकार ने मंदिर के राजस्व को बढ़ावा देने के लिए मंदिर के जमीन की नीलामी करने की योजना बनाई है। इसके लिए भुवनेश्वर विकास प्राधिकरण को जमीन का प्लॉट काटकर बेचने को कहा गया है। हालांकि सरकार के इस कदम को अड़चनों का सामना करना पड़ रहा है। क्योंकि खुर्दा जिले के जातानी क्षेत्र के कई गांव वालों ने इस संबंध में ओडिशा उच्च न्यायालय में केस दायर किया है।
मोहपात्रा बताते हैं, “उन्होंने ओडिशा उच्च न्यायालय से स्टे ऑर्डर हासिल कर लिया है। हम 125 एकड़ जमीन पर लगे स्टे ऑर्डर को हटवाने का प्रयास कर रहे हैं, ताकि उसे बेचा जा सके।”
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