नई दिल्ली, 2 मई | राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के वयोवृद्ध कार्यकर्ता एवं तत्कालीन भारतीय जनसंघ के संस्थापक नेताओं में से एक बलराज मधोक का यहां सोमवार को निधन हो गया। आरएसएस के प्रवक्ता ने बताया कि मधोक (96) ने सोमवार सुबह करीब नौ बजे दिल्ली के न्यू राजेंद्र नगर इलाके में स्थित अपने आवास में अंतिम सांस ली। वह पिछले कई दिनों से बीमार थे।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उनके निधन पर शोक जताते हुए कहा कि मधोक ‘देश व समाज के प्रति निस्वार्थ भाव से समर्पित थे’ और उनकी ‘वैचारिक प्रतिबद्धता मजबूत और विचारों में स्पष्टता थी’।
मधोक का जन्म 25 फरवरी, 1920 को जम्मू एवं कश्मीर के स्कर्दू क्षेत्र (अब पाकिस्तान में) हुआ था। स्नातक की डिग्री लेने से दो साल पहले 1940 में वह लाहौर में आरएसएस के सदस्य बन गए।
मधोक 1942 में आएसएस के पूर्णकालिक सदस्य बन गए और जम्मू एवं कश्मीर में राजनीतिक रूप से सक्रिय हो गए। एक समय ऐसा भी आया, जब जम्मू एवं कश्मीर के तत्कालीन मुख्यमंत्री शेख अब्दुल्ला ने उन्हें राज्य से बाहर कर दिया था।
शुरुआत में जम्मू में प्रजा परिषद पार्टी से जुड़े मधोक ने जनसंघ के गठन के लिए दूसरों से हाथ मिलाया। उन्होंने 1951 में आरएसएस की छात्र इकाई अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) की भी स्थापना की।
मधोक 1961 में लोकसभा के लिए निर्वाचित हुए थे। 1966-67 में जनसंघ के अध्यक्ष रहे, उस वक्त पार्टी दिल्ली, हिमाचल प्रदेश, राजस्थान और तत्कालीन अविभाजित मध्य प्रदेश में मजबूत थी।
जनसंघ में उनका प्रभाव कम होना 1973 में शुरू हुआ, जब संघ के तत्कालीन अध्यक्ष लालकृष्ण आडवाणी ने उन्हें पार्टी से निष्कासित कर दिया। मधोक उन हजारों राजनीतिक कार्यकर्ताओं में से एक थे, जो 1975-77 के आपातकाल के दौरान जेल गए थे।
आपातकाल के बाद मधोक ने अखिल भारतीय जनसंघ की स्थापना की, लेकिन यह ध्यान खींचने में असफल रहा और जनसंघ के पूर्व अध्यक्ष धीरे-धीरे गुमनामी के अंधेरे में खो गए।
–आईएएनएस
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