लखनऊ, 14 जुलाई । उत्तर प्रदेश में नवजात के जन्म लेते ही उसका आधार कार्ड बन जाएगा। इसके लिए उसके माता-पिता को भागदौड़ भी नहीं करनी पड़ेगी। बल्कि आगामी तीन माह के भीतर ऐसा साफ्टवेयर विकसति किया जाएगा, जिससे नवजात का नाम स्वत: आधार कार्ड से लिंक हो जाएगा। यही नहीं अब बच्चे के जन्म के 48 घंटे के अन्दर ही जन्म की रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया पूरी कर दी जाएगी। जिसकी सूचना भी आवेदन देने वाले को दी जाएगी। (22:24)
मुख्य सचिव दीपक सिंघल ने निर्देश दिए कि व्यवस्था के तहत बच्चे के जन्मोपरान्त रजिस्ट्रेशन के लिए प्राप्त आवेदन के अधिकतम 48 घन्टे के अन्दर रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया पूर्ण कराकर सम्बन्धित व्यक्ति को सूचित किया जाना अनिवार्य है। यह व्यवस्था सुनिश्चित कराया जाए। उन्होंने स्वास्थ्य विभाग, नगर विकास एवं पंचायती राज विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों को निर्देश दिये हैं कि आगामी तीन माह के अन्दर बच्चे के जन्म लेते ही आधार लिंक कार्ड से स्वत: जोड़ने हेतु साफ्ट्वेयर विकसित किया जाए।
उन्होंने कहा कि प्रदेश की वर्ष 2015 के अनुसार 21.12 करोड़ जनसंख्या के सापेक्ष 15.60 करोड़ आधार कार्ड कुल जनसंख्या का 74 प्रतिशत बन जाने के फलस्वरूप अवशेष आधार कार्डो को आगामी मार्च, 2017 तक अभियान चलाकर बनवाया जाना सुनिश्चित किया जाए।
मुख्य सचिव बुधवार को शास्त्री भवन स्थित अपने कार्यालय कक्ष के सभागार में प्रदेश में आधारबद्ध जन्म पंजीकरण को आधार से लिंक किए जाने से सम्बन्धित बैठक कर विभागीय अधिकारियों को आवश्यक निर्देश दे रहे थे।
बैठक में बताया गया कि प्रदेश में 18 वर्ष से अधिक आयु के 99.23 प्रतिशत, 15 वर्ष के कम आयु वर्ग के 21 प्रतिशत तथा 05 से 18 वर्ष के आयु वर्ग के 48 प्रतिशत आधार कार्ड बनवाये जा चुके हैं। उन्होंने बताया कि विद्यालयों में भी अध्ययनरत बच्चों, आंगनबाड़ी केन्द्रों सहित सामाजिक संस्थाओं की और अधिक भागीदारी सुनिश्चित कराकर शत-प्रतिशत आधार कार्ड बनवाने हेतु आवश्यक कार्यवाही प्राथमिकता से सुनिश्चित कराई जाए।
मुख्य सचिव ने नगर विकास विभाग के अधिकारियों को निर्देश दिये कि जनहित गारण्टी अधिनियम के अनुसार जन्म-मृत्यु प्रमाण पत्र आवेदन पत्र प्राप्त होने के 48 घन्टे के भीतर जारी कर दिया जाना चाहिए किन्तु व्यवहार में ऐसा नहीं हो रहा है और अत्यन्त विलम्ब से उक्त प्रमाण-पत्र जारी किए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि इसे निर्धारित समयावधि में अवश्य निर्गत किया जाए तथा विलम्ब से प्रमाण-पत्र जारी करने के मामले में उत्तरदायी कार्मिकों के विरुद्ध अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाए।
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