मेक्सिको सिटी, 21 जुलाई | द्वितीय विश्व युद्ध के कारण कई वर्षो तक ओलम्पिक खेलों का आयोजन नहीं हो सका था और युद्ध की विभीषिका से उबरकर लंदन ने 1936 के बाद पहली बार बेहद सादगी से 1948 में ओलम्पिक खेलों की दोबारा शुरुआत की। युद्ध के कारण लंदन की हालत खराब थी और शहर के लिए एक कठिन परीक्षा थी।
ओलम्पिक खेलों के लिए भव्य तैयारियां और शानदार स्टेडियमों के निर्माण में अक्षम लंदन ने तब मौजूद संसाधनों का ही उपयोग किया और सैनिकों के रहने के लिए बने बैरकों में खिलाड़ियों के रहने की व्यवस्था की गई थी।
समाचार एजेंसी सिन्हुआ के अनुसार, 29 जुलाई से 14 अगस्त तक आयोजित हुए लंदन ओलम्पिक-1948 में 59 देशों और क्षेत्रों से करीब 4,104 खिलाड़ियों ने हिस्सा लिया था, जिसमें 390 महिला खिलाड़ी शामिल थीं। इन खिलाड़ियों ने 17 खेलों की 136 स्पर्धाओं में हिस्सा लिया था।
लंदन में स्थित एक लाख दर्शक क्षमता वाले वेंब्ले स्टेडियम में तब ट्रैक एंड फील्ड स्पर्धाओं के लिए राख से ट्रैक का निर्माण किया गया था।
खर्च में कटौती से हालांकि काम नहीं चलने वाला था, क्योंकि पहली बार लंदन ओलम्पिक-1948 के उद्घाटन समारोह टेलीविजन पर प्रसारित किया जाना था, जिसे पांच लाख लोगों ने देखा था।
इन ओलम्पिक खेलों में रिकॉर्ड संख्या में देशों और क्षेत्रों से खिलाड़ियों ने हिस्सा लिया था, लेकिन इन सबके बीच स्पर्धा का स्तर अपेक्षा के अनुरूप नहीं हो सका था तथा इसके पीछे कई कारण थे।
पहला कारण तो यह था कि लंदन ओलम्पिक-1948 में सभी शीर्ष खिलाड़ी हिस्सा नहीं ले सके थे, क्योंकि कई शीर्ष खिलाड़ी द्वितीय विश्व युद्ध में मारे जा चुके थे।
और जिन खिलाड़ियों ने ओलम्पिक खेलों में हिस्सा लिया था, उनमें से कई खिलाड़ियों का सुनहरा दौर बीत चुका था और ओलम्पिक खेलों के दौरान सुविधाओं का स्तर भी अच्छी नहीं था, जिसका असर खिलाड़ियों के प्रदर्शन पर पड़ा।
हॉलैंड की एथलीट फैनी ब्लैंकर्स-कोएन लंदन ओलम्पिक-1948 की नायक बनकर उभरीं। कोएन ने 100 मीटर और 200 मीटर रेस, 80 मीटर बाधा दौड़ तथा चार गुणा 400 मीटर रिले रेस में चार स्वर्ण पदक जीते थे।
इन ओलम्पिक खेलों में भारत ने हॉकी टूर्नामेंट में स्वतंत्रता के बाद का पहला और कल चौथा स्वर्ण पदक जीता था–आईएएनएस
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