जयपुर,24 जनवरी। इस जमीन में कोई जादू है
फल खाओ तो मीठे लगते है, पत्ते खाओ तो फीके।
मौसम्बी खाओ तो मीठी लगती है नीम्बू खट्टे
न जाने क्यों गन्ना मीठा लगता है लेकिन बांस में कोई स्वाद नहीं होता
जरूर इस जमीन में कोई जादू है।
हमारे आस.पास की जमीन,पहाड,पेड,नदी, कुआं इन सबसे हमारा एक नाता है।
जाने माने गीतकार गुलजार ने जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल में रविवार को अपनी नज्मों के जरिए कुदरत के इसी जादू को कुछ ऐसा चलाया कि फेस्टिवल में आए लोगों पर पूरे दिन उसका असर बना रहा। इस बार के जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल में रविवार को गुलजार और पूर्व राजनयिक और लेखक और अब राजनेता हो चुके पवन के.वर्मा का सत्र नज्म उलझी है सीने में सबसे ज्यादा भीड खींचने वाला सत्र रहा। गुलजार की ज्यादातर किताबों का अनुवाद पवन वर्मा ने ही किया है। डिग्गी पैलेस के फ्रंटलॉन में आयेाजित इस सत्र में सुनने वाले इतने थे कि पैर रखने की जगह नहीं बची और गुलजार ने भी अपने चाहने वालों को कतई निराश नहीं किया। प्रकृति से इंसान के रिश्ते को सामने वाली नौ नज्में और छोटी कविताएं गुलजार ने सुनाई और सब की सब ऐसी थी कि जो जहां खडा था, वहीं खडा रह गया। गुलजार ने कहा कि यह प्रकृति से जुडी नज्में हैं और कुदरत को आप जीवंत मानेंगे तो इससे आपका रिष्ता अपने आप जुड जाएगा।