कानपुर, 17 जुलाई | जम्मू एवं कश्मीर में हिजबुल मुजाहिदीन के कमांडर और कश्मीर में आतंक के ‘पोस्टर ब्वाय’ बुरहान वानी के सुरक्षा बलों के हाथों मारे जाने के बाद से बिगड़े हालात को लेकर राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) का शीर्ष नेतृत्व भी काफी गम्भीर है। संघ के पदाधिकारियों की मानें तो कानपुर के बिठूर में हुई संघ की चिंतन बैठक में जम्मू एवं कश्मीर में संघ की इकाइयों को और ज्यादा सक्रिय करने पर सहमति बनी।
कानपुर के बिठूर में स्थित महाराणा प्रताप इंजीनियरिंग कॉलेज में रविवार को संघ की अखिल भारतीय कार्यकारिणी की बैठक का समापन हो गया। इस बैठक में संघ के सर संघचालक मोहन भागवत सहित सभी बड़े पदाधिकारी मौजूद थे। बैठक में कश्मीर के मौजूदा हालात पर चर्चा हुई।
फोटो : संघ प्रमुख मोहन भागवत (फाइल फोटो आईएएनएस )
संघ के एक पदाधिकारी ने आईएएनएस से कहा कि कार्यकारिणी की बैठक में अगले साल की कार्य योजनाओं को मूर्त रूप दिए जाने पर चर्चा हुई। झुग्गी-झोपड़ियों और बस्तियों में संघ के अखिल भारतीय पदाधिकारियों के प्रवास करने की योजना बनी।
उन्होंने बताया, “कार्यकारिणी की बैठक में जम्मू एवं कश्मीर में बिगड़े हालात पर चर्चा की गई। इस मुद्दे को लेकर संघ के शीर्ष पदाधिकारी भी गंभीर दिखाई दिए। बैठक में तय किया गया कि आने वाले समय में जम्मू एवं कश्मीर में संघ के अनुषंगी संगठनों की सक्रियता और बढ़ाई जाएगी और वहां के युवाओं को आतंकवाद के खिलाफ जागरूक किया जाएगा।”
संघ सूत्रों के मुताबिक, बैठक में यह तय हुआ कि झुग्गी-झोपडियों वासियों के लिए शिक्षा, स्वास्थ्य और स्वावलंबी बनाने वाली योजनाएं भी संघ क्रियान्वित करेगा। आरएसएस के अभ्यास वर्ग और प्रांत प्रचारकों की बैठक में संघ के पदाधिकारियों ने बुद्घिजीवियों के साथ सामाजिक समरसता, विकास और सामाजिक दिक्कतों के मुद्दे पर चर्चा की।
संघ पदाधिकारियों ने बताया कि 25 जुलाई से अखिल भारतीय पदाधिकारियों के प्रवास शुरू होंगे जो एक साल तक चलेंगे।
सूत्रों के अनुसार जिज्ञासा समाधान सत्र में सामाजिक कुरीतियों के कारण समाज में व्याप्त असमानता को भी मिटाने की रणनीति बनी। संघ अगले साल गांव-गांव में शाखा विस्तार के जरिए ही इस समस्या का समाधान करेगा। –विद्या शंकर राय (आईएएनएस)
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