जम्मू, 13 अक्टूबर | जम्मू एवं कश्मीर के जम्मू क्षेत्र में नियंत्रण रेखा (एलओसी) के पास के इलाकों में भारत और पाकिस्तान के बीच गोलीबारी बंद होने के बाद जनजीवन पटरी पर लौटने लगा है। जम्मू, सांबा और कठुआ जिलों के 15,000 से अधिक ग्रामीण अपने घर लौट आए हैं।
फाइल फोटो : आर.एस. पुरा सेक्टर में भारत-पाक सीमा पर मुस्तैद जवान। (आईएएनएस)
उन्हें भारत द्वारा नियंत्रण रेखा के पार जाकर पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में सर्जिकल स्ट्राइक्स किए जाने के बाद पाकिस्तान की ओर से लगातार संघर्ष विराम के उल्लंघन के कारण सुरक्षित स्थानों पर जाना पड़ा था।
हालांकि, महिलाएं और बच्चे अब भी प्रशासन द्वारा मुहैया कराए गए अस्थाई शिविरों में ही रह रहे हैं, लेकिन पुरुष अपने खेतों और घरों में लौट आए हैं।
आर.एस.पुरा सेक्टर के निवासी बलदेव (45) ने बताया, “सबसे अधिक डर इस बात का था कि अगर पकी हुई फसलों को समय पर काटा नहीं गया तो वे बर्बाद हो जाएंगी।”
उन्होंने बताया, “जिस तरह उन्होंने 30 सितंबर के बाद एक सप्ताह से अधिक समय तक हमारे घरों और खेतों में बमबारी की, अगर वह इसी तरह जारी रहती तो हम अपनी फसलों को काटने की हिम्मत नहीं जुटा पाते।”
ये सिर्फ चावल और अन्य खाद्यान्न नहीं है, बल्कि सीमावर्ती क्षेत्रों में सब्जियों के खेत भी हैं जो पक चुकी हैं।
खोर तहसील में गांव के बाजार दोबारा खुलने शुरू हो गए हैं। यहां बड़ी सख्या में सब्जियों से भरे ट्रैक्टर पहुंच रहे हैं।
ग्रामीणों का कहना है कि जम्मू एवं कश्मीर में ऐसे हालात उनके लिए नए नहीं हैं।
कठुआ जिले के हीरा नगर के स्थानीय निवासी सतपाल ने बताया, “जब हमने भारत और पाकिस्तान से गोलाबारी के बारे में सुना तो हमने समझ लिया कि अब सामान समेटने और भागने का समय है।”
सतपाल ने आगे कहा, “जबसे मैं पैदा हुआ हूं, तभी से हालात ऐसे ही हैं।”
वहीं, आर.एस.पुरा के हरजीत सिंह (80) कहते हैं, “जिंदगी और मौत भगवान के हाथ में है तो चिंता क्यों करनी?” –आईएएनएस
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