इलाहाबाद, 4 सितम्बर । जलपरी के नाम से विख्यात कानपुर की श्रद्धा शुक्ला के बारे में चैंकाने वाली जानकारी सामने आई है। राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता फिल्मकार और वरिष्ठ टीवी पत्रकार विनोद कापड़ी की आने वाली डॉक्यूमेंट्री फिल्म ‘जलपरी’ में इस बात का खुलासा हुआ है कि कानपुर से वाराणासी के गंगा अभियान के दौरान अधिकांश समय नाव पर ही बिताती है। वह गंगा में तैराकी के लिए उसी वक्त उतरती है, जब या तो कोई घाट आने वाला होता है या आसपास लोगों की भीड़ होती है।
फिल्मकार विनोद कापड़ी ने शुक्रवार को एक प्रेस वार्ता में कहा कि वह मुंबई में थे, जब उन्हें पता चला कि कानपुर की एक 12 साल की लड़की श्रद्धा शुक्ला कानपुर से वाराणसी तक गंगा में तैर कर जा रही है और वह एक दिन में 80 से 100 किलोमीटर तैराकी कर रही है। इस खबर ने उन्हें बहुत उत्साहित किया और हैरान भी किया कि कैसे एक 12 साल की बच्ची उफनती गंगा में हर दिन 80 किलोमीटर तैराकी कर सकती है। जो किसी बड़े से बड़े विश्व स्तरीय तैराक के लिए भी नामुमकिन है।
यही सोचकर उन्होंने तय किया कि छोटे शहर की इस प्रतिभा को देश विदेश तक पहुंचाने के लिए वो डॉक्यूमेंट्री फिल्म बनाएंगे। लेकिन जब वह जलपरी के अभियान में तीन दिन तक लगातार साथ रहे तो उन्हें बहुत निराशा हुई। उन्होंने देखा कि 570 किलोमीटर तक गंगा में तैराकी का यह अभियान सिर्फ और सिर्फ छलावा है, जिसके जरिए मीडिया और देश को गुमराह किया जा रहा है।
डॉक्यूमेंट्री में इस बात को दिखाया जाएगा कि इस अभियान के दौरान जलपरी एक दिन में 80-100 किलोमीटर नहीं, बल्कि 2 से 3 किलोमीटर ही तैराकी करती है। बाकी समय वह नाव पर ही बिताती है। दरअसल 80-100 किलोमीटर की जिस दूरी का दावा किया जाता है, वह नाव के चलने की दूरी होती है। वैसे एक नाव के लिए भी एक दिन में 80-90 किलोमीटर तय करना मुश्किल होता है।
विनोद कापड़ी ने अपनी डॉक्यूमेंट्री में जलपरी के साथ चल रहे नौका दल के प्रमुख मान सिंह पासवान, गोताखोर पिंटू निषाद, राममिलन निषाद का इंटरव्यू रिकॉर्ड किया है। तीनों ने ही डॉक्यूमेंट्री में इस बात का खुलासा किया है कि पहले दिन से ही इस तरह मीडिया को भ्रम में रखने की कोशिश चल रही है, जिसे देखकर उन्हें बहुत दुख होता था पर वह लाचार थे क्योंकि कोई भी उनसे बात नहीं करता था। गोताखोरों की टीम और नाविक दल ने भी इस बात की पुष्टि की है कि बच्ची यह सब अपने पिता ललित शुक्ला के इशारे पर कर रही है। नाविकों ने अपने इंटरव्यू में दावा किया कि ललित शुक्ला यह सब पैसे और प्रचार के लिए कर रहे हैं।
कापड़ी ने कहा कि उनकी पूरी हमदर्दी बच्ची के साथ है और इसमें बच्ची की जरा भी गलती नहीं है। देश और मीडिया को गुमराह करने का काम सिर्फ उसके पिता ही कर रहे हैं, जिसकी जानकारी और समझ संभवत: बच्ची को नहीं होगी। वह तो अपने पिता के इशारे पर ही सब कर रही है। विनोद को दुख है कि एक सामान्य बच्ची को अचानक सुपर हीरो और अब देवी बनाकर उसका बचपन छीना जा रहा है।
कई जगह तो जलपरी को गंगा मैया का अवतार मानकर उसकी आरती उतारी जा रही है और पूजा हो रही है। 80 साल तक के बुजुर्ग 12 साल की श्रद्धा को गंगा मैया का अवतार मानकर उसके पैर तक छू रहे हैं। विनोद ने बताया कि लाखों लोगों की आस्था और विश्वास के लगातार हो रहे इस खिलवाड़ को देखते हुए ही उन्होंने यह सच सबके सामने लाने का फैसला किया।
डॉक्यूमेंट्री में इस बात को भी दिखाया जाएगा कि बच्ची में यदि वास्तव में प्रतिभा है तो उसे तैराकी का पेशेवर तरीके से प्रशिक्षण दिलाया जाना चाहिए और उसके परिजनों को सस्ती लोकप्रियता के लिए बच्ची के बचपन से खिलवाड़ नहीं करना चाहिए । विनोद ने कहा कि श्रद्दा की जो भी प्रतिभा है उसका बहुत सम्मान करते हैं और यदि वो चाहे तो उसे अपने खर्च पर दिल्ली के प्रतिष्ठित तालकटोरा तरणताल में अपने खर्च पर प्रशिक्षण दिलाने को तैयार हैं।
प्रेस वार्ता के दौरान डॉक्यूमेंट्री के वो चंद मिनट के हिस्से भी दिखाए गए जिसमें जलपरी अधिकांश समय नाव में ही देखी गई और ललित शुक्ला उसे तभी नाव से नीचे उतारते देखे गए जब लोगों की भीड़ होती थी।
विनोद कापड़ी इससे पहले एक चर्चित बॉलीवुड फिल्म ‘मिस टनकपुर हाजिर हो’ बना चुके हैं और उनकी एक फिल्म ‘कांट टेक दिस शिट एनिमोर’ को राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार मिल चुका है।(आईएएनएस/आईपीएन)
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