जलवायु चुनौती से निपटने को अंतरिक्ष एजेंसियां एकजुट

नई दिल्ली, 4 जून | भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) और फ्रांसीसी अंतरिक्ष एजेंसी (सीएनईएस) के प्रोत्साहन से पहली बार 60 से अधिक देशों की अंतरिक्ष एजेंसियां मानव-उत्सर्जित ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन की निगरानी के लिए अपनी प्रणालियों और डाटा समन्वय के लिए अपने उपग्रहों को शामिल करने पर सहमत हो गई हैं। नई दिल्ली में शुक्रवार को इसरो और सीएनईएस द्वारा आयोजित कार्यक्रम में वैश्विक अंतरिक्ष एजेंसियों ने ‘नई दिल्ली घोषणा’ के माध्यम से पृथ्वी का अवलोकन कर रहे उनके उपग्रहों से प्राप्त डेटा को केंद्रीकृत करने के लिए ‘एक स्वतंत्र, अंतरराष्ट्रीय प्रणाली’ को स्थापित करने का फैसला किया जो आधिकारिक तौर पर 16 मई, 2016 से प्रभावी हो चुका है।

पृथ्वी की कक्षा में उपग्रह।  फोटो: इसरो के सौजन्य से

इसरो के अध्यक्ष किरण कुमार ने बताया, “जलवायु परिवर्तन की निगरानी के लिए अंतरिक्ष आदानों के उपयोग के लिए सभी अंतरिक्ष एजेंसियों का एकतरफा समर्थन अपरिहार्य है। पृथ्वी का अवलोकन करने वाले उपग्रह एक वैश्विक परिप्रेक्ष्य में जलवायु प्रणाली का मापन प्राप्त करने का एक महत्वपूर्ण साधन हैं। इसरो अपने उपग्रहों की विषयगत श्रृंखला के माध्यम से, समकालीन और साथ ही भविष्य की जरूरतों को पूरा करने के लिए निरंतर पृथ्वी का अवलोकन डेटा प्राप्त करने के लिए प्रतिबद्ध है। इसरो अपने उन्नत उपकरणों के साथ जलवायु अवलोकन के लिए संयुक्त अभियानों हेतु भी सीएनईएस, जाक्सा और नासा के साथ जुड़ा है।”

सीएनईएस के अध्यक्ष जीन यवेस ले गॉल ने कहा, “यह एक ऐतिहासिक घटना है और इसे केवल सहयोग के माध्यम से ही हासिल किया जा सकता है। दुनिया की अग्रणी अंतरिक्ष शक्तियों सहित 60 से अधिक देशों की अंतरिक्ष एजेंसियों, अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष समुदाय और वैज्ञानिकों के पास अब मानव जाति और हमारे ग्रह की भलाई के लिए साधन हैं जिनके माध्यम वे इस दिशा में कार्य हेतु अपनी प्रतिभा, बुद्धि और आशावाद को प्रकट कर सकते हैं।”

पिछले साल दिसंबर में पेरिस में आयोजित सीओपी21 जलवायु सम्मेलन ने इस दिशा में पहल की गई थी। बढ़ता समुद्री स्तर, समुद्री बर्फ का परिमाण और वातावरण की सभी परतों में ग्रीन हाउस गैसों की सांद्रता को सिर्फ अंतरिक्ष से ही मापा जा सकता है। इसके लिए विभिन्न देशों की अंतरिक्ष एजेंसियों में समन्वय बेहद जरूरी है।

पेरिस समझौते को प्रभावी ढंग से लागू करने की कुंजी इस क्षमता में निहित है कि राष्ट्र ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जनों को रोकने के लिए अपनी प्रतिबद्धताओं को पूरा कर रहे हैं और इस कार्य को केवल उपग्रह ही कर सकते हैं।