नई दिल्ली, 17 मई | केंद्रीय मानव संसाधन विकास (एचआरडी) मंत्री स्मृति ईरानी ने कहा है कि सरकार जल्द ही नई शिक्षा नीति पेश करेगी। ईरानी ने सोमवार को ‘ऑल इंडिया रेडियो’ से साक्षात्कार में कहा, “हमें 1 लाख 10 हजार गांवों और 15 सौ से अधिक नगरों में रहने वाले लोगों के सुझाव मिले हैं। हमने विशेषज्ञों की सहायता से अपनी शिक्षा प्रणाली को बेहतर बनाने के लिए एक दस्तावेज तैयार किया है। इसमें शिक्षा परिषद की सलाह भी शामिल है। इसे 15-20 दिन में सार्वजनिक किया जाएगा।”
ईरानी ने कहा कि गांवों एवं दूर-दराज के क्षेत्रों में रहने वाले लोगों से सलाह लेकर पहली बार एक राष्ट्रीय शिक्षा नीति तैयार की गई है।
मंत्री ने कहा कि उनकी सरकार इसके पहले की संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार के ‘शिक्षा के अधिकार’ (आरटीई) को उसके असली उद्देश्य की ओर ला रही है।
ईरानी ने कहा कि इससे पहले की यूपीए सरकार ने आरटीई पारित किया, लेकिन उन 25 फीसदी छात्रों की फीस के लिए कोई प्रावधान करने में नाकाम रही जिन्हें निजी विद्यालयों में आरक्षित सीट मुहैया कराई गई है। हम लोगों ने उसकी व्यवस्था की और राज्य सरकारों के साथ उनके रिकार्ड की जांच कर 18 लाख छात्रों की फीस का भुगतान किया।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को इस प्रयास का श्रेय देते हुए ईरानी ने कहा कि एचआरडी मंत्रालय ने राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) की नौवीं से बारहवीं कक्षा तक की पुस्तकों को डिजिटाइज कर दिया है।
ये सभी पुस्तकें बगैर कोई पैसा दिए हिंदी, अंग्रेजी और उर्दू में मोबाइल एप के जरिए उपलब्ध हैं।
ईरानी ने यह भी कहा कि मंत्रालय विभिन्न विषयों पर 22 भारतीय भाषाओं में ‘भारतवाणी’ नाम से एक वेब पोर्टल शुरू करेगा। इसमें पढ़ाने से लेकर सीखने तक के विषय शामिल रहेंगे।
मानव संसाधन विकास मंत्री ने कहा कि सरकार भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) के जरिए 16 शोध पार्क बनाएगी।
उन्होंने कहा, “छह पार्को का काम शुरू भी हो चुका है। ये संस्थान डिप्लोमा और प्रमाणपत्र कार्यक्रमों के जरिए छात्रों को व्यावसायिक एवं प्रौद्योगिकी के कौशल से लैस करेंगे। इसमें पढ़ाने के लिए हम लोग आईआईटी के शिक्षकों को शामिल करेंगे।”
ईरानी ने कहा कि सरकार ने उद्योगों से जुड़े अग्रणी लोगों को इन संस्थानों में साझीदार बनने के लिए आमंत्रित किया है। वे इनके निर्माण के लिए 140 करोड़ रुपये निवेश भी कर चुके हैं।
एचआरडी मंत्री ने कहा, बहुत सारे विदेशी विश्वविद्यालय भी विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) के मानदंड के तहत भारतीय संस्थानों के साथ मिलकर काम कर रहे हैं ताकि भारतीय छात्रों को देश में ही सबसे अच्छी शिक्षा मिल सके।
उन्होंने कहा कि उनका लक्ष्य यह सुनिश्चित करना है कि राजनीतिक मकसद के लिए विश्वविद्यालयों का इस्तेमाल न हो और ये शिक्षा का मंदिर बने रहें।
(फाइल फोटो)
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