नई दिल्ली, 21 सितम्बर | बहुराष्ट्रीय कंपनियों पर भारतीय बौद्धिक संपदा अधिकार (आईपीआर) कानूनों का उल्लंघन कर भारत के बीज प्रभुत्व को नष्ट करने का आरोप लगाते हुए पर्यावरणविद वंदना शिवा ने बुधवार को सरसो उत्पादक राज्यों के सांसदों को पत्र लिखा और उन्हें अनुवांशिक रूप से संवर्धित सरसो के वाणिज्यीकरण के खिलाफ सावधान किया। राजस्थान, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, गुजरात, पश्चिम बंगाल, असम और मध्य प्रदेश के सांसदों को पत्र लिखने के अलावा शिवा इससे पहले इस मामले में हस्तक्षेप करने के लिए प्रधानमंत्री को भी पत्र लिख चुकी हैं।
शिवा ने कहा है, “जीएम बीटी कपास के अनुभव ने दिखा दिया है कि बहुराष्ट्रीय कंपनियां जीव प्रौद्योगिकी का पेटेंट रखे हुए हैं और रायल्टी वसूली और देश से पैसा निकाल ले जाने की एक अवैध प्रणाली के जरिए हमारे बीज क्षेत्र को बर्बाद कर रही हैं।”
पर्यावरणविद वंदना शिवा फोटो : आईएएनएस
शिवा नवदान्या की संस्थापक हैं। यह बीज रखने वालों एवं जैविक उत्पादकों का नेटवर्क है। उन्होंने मोन्सांतो और बायर जैसी बहुराष्ट्रीय कंपनियों पर गलत गतिविधियां चलाने का आरोप लगाया है और जीएम सरसों के वाणिज्यीकरण से पहले दायित्व कानूनों को लागू करने की मांग की है।
उन्होंने लिखा है कि रसायन उद्योग जीएम सरसो(डीएमएच-11) को बढ़ावा देने के लिए तैयार हो रहा है। जीएम सरसो का प्रचार जीवाणु रहित पौधे पैदा करने के बारनासे/बारस्टार/जीन प्रणाली पर आधारित सरकारी क्षेत्र के एक अन्वेषण के रूप में किया जा रहा है।
उन्होंने मांग की है कि किसी भी जीएमओ को स्वीकृति देने से पहले दायित्व कानूनों को लागू किया जाए, ताकि किसानों को होने वाले नुकसान और लागत दोनों की देनदारी बनें। उन्होंने कहा है कि उन किसानों का जिनकी फसल अनुवांशिक रूप से जीएम फसल के कारण प्रदूषित हो गई, उनके नुकसान की भी जवाबदेही उठानी होगी।
प्रधानमंत्री को लिखे पत्र में शिवा ने कहा है कि बीज के मामले में शासन प्रणाली में गंभीर संकट है।
पत्र में कहा गया है कि भारतीय कानूनों का पूरी तरह से उल्लंघन तत्काल रोका जाना चाहिए। हम लोग उम्मीद करते हैं कि भारत के प्रधानमंत्री इस पर तत्काल कार्रवाई करेंगे।
शिवा ने आईएएनएस को बताया कि बहुराष्ट्रीय कंपनियों के खिलाफ वैश्विक स्तर पर अपनी इस लड़ाई को ले जाते हुए नवदान्या अन्य अंतर्राष्ट्रीय संगठनों के साथ मिलकर अगले माह 14 से 16 अक्टूबर तक नीदरलैंड के शहर हेग में ‘पीपुल्स असेंबली फॉर फ्यूचर ऑफ फूड, द फ्यूचर ऑफ प्लानेट’ का आयोजन करेगी। -आईएएनएस
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