टैक्स चोरी और दस्तावेजों में हेराफेरी करने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई संभव.
नई दिल्ली, 9 जुलाई। केंद्र सरकार ने वस्तु एवं सेवा कर नेटवर्क (जीएसटीएन) को धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के दायरे में लाने के लिए शनिवार को एक अधिसूचना जारी की।
जीएसटीएन पर संग्रहीत जानकारी अब पीएमएलए अधिनियम के तहत साझा की जा सकती है। इससे टैक्स चोरी और दस्तावेजों में हेराफेरी करने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करना संभव हो सकेगा।
सरकार के इस फैसले से अब पीएमएलए एक्ट के तहत जीएसटी नेटवर्क की जानकारी मांगी जा सकेगी।
इससे जीएसटी के तहत होने वाले अपराध जैसे फर्जी इनपुट टैक्स क्रेडिट, फर्जी चालान आदि को पीएमएलए एक्ट में शामिल किया जाएगा।
मनी लॉन्ड्रिंग रोकथाम अधिनियम
मनी-लॉन्ड्रिंग को रोकने और मनी-लॉन्ड्रिंग से प्राप्त या उसमें शामिल संपत्ति को जब्त करने और उससे जुड़े या उसके प्रासंगिक मामलों के लिए प्रावधान करने के लिए है।
आईटी नेटवर्क
सरकार ने जीएसटी की जरूरतों को पूरा करने के लिए जीएसटीएन नामक एक मजबूत आईटी नेटवर्क स्थापित किया है।
जीएसटीएन जीएसटी के कार्यान्वयन के लिए केंद्र और राज्य सरकारों, करदाताओं और अन्य हितधारकों को एक साझा आईटी बुनियादी ढांचा और सेवाएं प्रदान करता है।
जीएसटीएन के कार्यों में अन्य बातों के साथ-साथ शामिल होंगे:
(i) पंजीकरण की सुविधा प्रदान करना;
(ii) केंद्रीय और राज्य प्राधिकारियों को रिटर्न अग्रेषित करना;
(iii) आईजीएसटी की गणना और निपटान;
(iv) कर भुगतान विवरण का बैंकिंग नेटवर्क से मिलान;
(v) करदाता रिटर्न जानकारी के आधार पर केंद्र और राज्य सरकारों को विभिन्न एमआईएस रिपोर्ट प्रदान करना;
(vi) करदाताओं की प्रोफ़ाइल का विश्लेषण प्रदान करना; और
(vii) इनपुट टैक्स क्रेडिट के मिलान, रिवर्सल और पुनः दावा के लिए मिलान इंजन चलाना।
जीएसटी लागू करने की लक्ष्य तिथि 1 जुलाई, 2017 है।
जीएसटीएन छोटे व्यापारियों को अपने खाते रखने के लिए मानक सॉफ्टवेयर भी उपलब्ध कराएगा, ताकि इसे सीधे जीएसटीएन वेबसाइट पर उनके मासिक रिटर्न के रूप में अपलोड किया जा सके। इससे छोटे व्यापारियों के लिए अनुपालन आसान हो जाएगा।