नई दिल्ली, 4 अगस्त | सरकार ने गुरुवार को कहा कि अगले साल 1 अप्रैल को वस्तु और सेवा कर (जीएसटी) को पूरे देश में समान रूप से लागू करने का लक्ष्य रखा गया है। हालांकि वित्त मंत्री ने कहा कि इस लक्ष्य को प्राप्त करना एक चुनौती होगी। इसके लिए भविष्य में कई चरण पूरे किए जाएंगे। राज्यों को भी राष्ट्रपति की मंजूरी मिल जाने के बाद तीस दिनों के भीतर ऐतिहासिक जीएसटी विधेयक के कानून को अंगीकार करने को कहा गया है।
वित्त मंत्री ने राज्य सभा में एक दिन पहले संशोधन के साथ सर्वसम्मति से पारित हो चुके प्रासंगिक विधेयक के बारे में कहा, “जीएसटी को समान ढंग से लागू करने की समय सीमा 1 अप्रैल, 2017 निश्चित ही कठिन है। लेकिन अभी एक समय सीमा रखना सही है। ”
“लेकिन हमारी कोशिश होगी की इसे जल्द से जल्द लागू किया जाए और आशा है कि लक्ष्य को पूरा कर लेंगे।”
जेटली की यह टिप्पणी राजस्व सचिव हसमुख अधिया के उस मीडिया प्रस्तुति के बाद आई है, जिसमें वह जीएसटी को लागू करने के तरीकों के बारे में बता रहे थे। उन्होंने इसके शुरुआत की तारीख भी बताई थी।
अधिया ने कहा कि सरकार को आशा है कि संसद के शीतकालीन सत्र में जीएसटी समान रूप से लागू करने से जुड़े सभी जरूरी विधेयक पारित कराने के लिए लाए जाएंगे। उन्होंने कहा, “उम्मीद है कि दिसंबर, 2016 तक जीएसटी के लिए जरूरी आईटी तंत्र तैयार कर लिया जाएगा।”
पूरे देश में करीब 60,000 अधिकारियों को इसके लिए प्रशिक्षित किया जाएगा और इस कार्यक्रम के व्यापक प्रसार के लिए इसे उद्योग और व्यापार के लिए शुरू किया जाएगा।
आधे राज्यों को इसमें तकनीकी रूप से संविधान (120-द्वितीय संशोधन) कानून, 2014 की पुष्टि करनी होगी। राजस्व सचिव ने कहा कि कम से कम 16 राज्यों को मंजूरी देने की जरूरत है। भारतीय जनता पार्टी और उसके सहयोगी दल तेरह राज्यों में सत्ता में हैं।
केंद्रीय वित्तमंत्री अरुण जेटली ने संवाददाता सम्मेलन में कहा कि एक बार जीएसटी समरूप लागू होने से भारत में व्यापार करना आसान हो जाएगा और बड़े व्यापारियों और नागरिकों को मदद मिलेगी। उन्होंने कहा, “इसमें आ रही देरी को लेकर लोगों में एक चिंता और खीझ थी। अब यह खत्म हो चुका है।”
उन्होंने कहा, “जीएसटी विधेयक के संदर्भ में सबसे महत्वपूर्ण पहलू यह है कि वह सर्वसम्मति से पारित हुआ।”
राजस्व सचिव ने कहा कि इसके अगले चरण में, कानूनी, आईटी और दूसरे सहयोगी ढांचे को इसके तहत लाना और कार्यालयों की जरूरत के मुताबिक इसके प्रशिक्षण में विस्तार व्यापार और उद्योग के मुताबिक करना है।
कानूनी रूप से जब एक बार राज्य अपने संविधान संशोधन विधेयक में जब इसकी पुष्टि कर लेंगे, तक केंद्र सरकार इसके लिए एक एकीकृत कानून केंद्रीय जीएसटी कानून पास करेगी और राज्य सरकार अपना खुद का कानून पारित करेगी। सरकार ने इसके लिए शीतकालीन सत्र को लक्ष्य रखा है।
इसके साथ ही मंत्रिमंडल ने जीएसटी परिषद बनाया है, जो ठीक राज्यों के वित्त मंत्रियों के सशक्तीकरण समिति की तरह है। इसके प्रमुख केंद्रीय वित्त मंत्री हैं। इसके जरिए जीएसटी नियमों को अधिसूचित किया जाएगा।
जीएसटी की चुनौतियों के बारे में राजस्व सचिव ने कहा कि बड़े स्तर पर केंद्र और राज्यों के आय के गणना की चुनौती, वास्तविक जीएसटी दर की संरचना, छूट की सूची तैयार करना और केंद्र और राज्यों के फैसलों को पार करने और विवाद सुलझाने को चुनौती बताया।
–आईएएनएस
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