नई दिल्ली, 24 जुलाई | दूरसंचार उद्योग ने वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) विधेयक को संसद से जल्दी पारित हो जाने की उम्मीद जताते हुए सरकार से मांग की है कि मूल्य संवर्धित सेवाओं (वीएएस) पर जो कर लगाए जाने हैं, उनके बारे में अपनी स्थिति को स्पष्ट रूप से पेश करे।
एसोचैम-केपीएमजी के आलेख में रविवार को कहा गया, “जीएसटी की व्यापक रूपरेखा से यह उम्मीद की जाती है कि प्रस्तावित जीएसटी व्यवस्था लागू हो जाने के बाद भी दूरसंचार सेवा प्रदाताओं को बहुत सारी चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा। पहली बार केंद्र और राज्य सरकार, दोनों को सेवाओं पर कर लेने का अधिकार होगा। प्रस्तावित जीएसटी कानून को सरकार द्वारा व्यापार करना आसान बनाने के लिए उठाए सभी कदमों में सहायता करने वाला होना चाहिए और दूरसंचार सेवा मुहैया कराने वालों के लिए एक सरलीकृत कर प्रक्रिया होनी चाहिए।”
रिंग टोन जैसे कुछ खास मूल्य संवर्धित सेवाओं को कुछ राज्यों में मनोरंजन कर कानून के तहत मनोरंजन माना गया है और इन पर कर लग सकता है। इस तरह की सेवाओं से जो आमदनी होगी उस पर कर लागू होगा और इस तरह से यह राज्यों में सेवा कर और मनोरंजन कर के रूप में दोहरा कर होगा।
एसोचैम के महासचिव डी. एस. रावत ने कहा कि सरकार को इस तरह की मूल्य संवर्धित सेवाओं पर जो कर लगना है, उसे स्पष्ट करना चाहिए। इससे इस उद्योग को अधिक समेकित ढंग से जीएसटी की ओर बढ़ने में मदद मिलेगी। उन्होंने कहा कि इससे इस क्षेत्र का स्फूर्त विकास होगा।
केपीएमजी ने अपनी टिप्पणी में कहा है कि इस क्षेत्र का विकास एक दूरदर्शी नीति एवं नियामक माहौल पर निर्भर है जो निवेश, नवीनता और उत्पादकता का पोषण करता हो। हालांकि, यह उद्योग अच्छे इरादे वाले इन विचारों को समाविष्ट करने को लेकर नीतियों की जटिलता, नियामक और कर ढांचे की चिंताओं को समाविष्ट करने को लेकर कई चुनौतियों से जूझ रहा है।
इसमें कहा गया है कि जीएसटी कानून को स्पष्ट एवं विस्तृत रूप से दूरसंचार सेवाओं को मूल्य संवर्धित सेवाओं, ई-कॉमर्स लेन-देन और मूलभूत सेवाएं साझा करने पर लगने वाले कर के बारे में बताना चाहिए क्योंकि इन देन-देन के साथ जीएसटी कानून के तहत अलग तरह से सलूक किया जा सकता है।
इसमें कहा गया है कि यह भी स्पष्ट है कि दूरसंचार सेवाओं के लिए आपूर्ति नियमों को स्पष्ट एवं खास जगह अधिसूचित किया जाना चाहिए। खासकर पहले भुगतान की हुई सेवा के लिए, एक व्यवसाय से दूसरे व्यवसाय में ग्राहक के ऑनलाइन लेन देन, मोबाइल वालेट और मूल्य संवर्धित सेवाओं के बारे में ऐसा होना चाहिए । –आईएएनएस
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