असम के कामरूप जिले के हयग्रीव माधव मंदिर में17 मई, 2016 को मधाब पुखुर में ताजे पानी में कछुए।
2007 में किए गए एक सर्वे के अनुसार गुवाहाटी के आसपास के मंदिरों में अनेक प्रजातियों के कछुए अभी भी हैं। इन्हें संरक्षित रखने के लिए मंदिरों के सरोवर बहुत महत्वपूण हैं। यही कारण है कि कछुओं की लुप्त होती प्रजातियों में से एक दो कछुए बचे हुए हैं।। इनमे निलसोनिया निगरीकन्स प्रजाति के कछुए भी हैं। खेद की बात यह है कि धीरे धीरे कछुओ की अनेक प्रजतियां यहां समाप्ति की ओर हैं।इसका मुख्य कारण मनुष्यों द्वारा मंदिरों के सरोवरों में फैंके जाने वाले खाद्य पदार्थ, प्लास्टिक और एल्यूमीनियम फोइल्स का कछुओं के जीवन पर दुष्प्रभाव हो रहा है।
मधाब पुखुर के सरोवर में 8 प्रजाति के कछुए हैं उनमें से तीन प्रजातियां लुप्त होने की कगार पर है। एक प्रजाति का केवल एक कछुआ बचा है।
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