जोशीमठ शहर में भूमि धंसने और दीवारों पर दरारें पड़ने से उत्पन्न स्थिति पर प्रधान मंत्री के प्रधान सचिव डॉ पीके मिश्रा ने रविवार को कैबिनेट सचिव और अन्य वरिष्ठ सरकारी अधिकारियों के साथ एक उच्च स्तरीय बैठक की।
इस बैठक में उत्तराखंड के जोशीमठ शहर में भूमि धंसने से उत्पन्न स्थिति का जायजा लिया गया ।
राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के सदस्य भी इस बैठक में उपस्थित थे।
उत्तराखंड के मुख्य सचिव ने जोशीमठ से प्रधानमंत्री कार्यालय को जानकारी दी।
प्रारंभिक जानकारी मैं बताया गया है कि भूमि धंसने से 600 से ज्यादा मकान प्रभावित हो रहे हैं।
जोशीमठ शहर में एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की टीमें पहले ही पहुंच चुकी हैं और प्रभावित परिवारों को भोजन, आश्रय और सुरक्षा की पर्याप्त व्यवस्था के साथ सुरक्षित स्थानों पर स्थानांतरित किया जा रहा है।
चमोली जिला प्रशासन के अधिकारियों की एक टीम ने स्थिति का जायजा लेने के लिए जोशीमठ शहर के मारवाड़ी वार्ड में घर-घर जाकर दौरा किया है।
चमोली के जिलाधिकारी हिमांशु खुराना ने कहा कि टूटी इमारतों में रहने वाले लोगों को तत्काल सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया जा रहा है।
पीएमओ द्वारा आयोजित उच्च स्तरीय बैठक में उत्तराखंड सरकार की मदद करने वाली केंद्रीय एजेंसियों और विशेषज्ञों को धंसते हुए जोशीमठ को लेकर लघु, मध्यम और दीर्घकालिक योजना तैयार करने का जिम्मा सौंपा गया है.
नवीनतम अपडेट के अनुसार, जोशीमठ को ‘रहने के लिए असुरक्षित’ घोषित किया गया है और 60 परिवारों को पहले ही निकाला जा चुका है।
अधिकारियों ने बताया कि 90 और परिवार अपनी बारी का इंतजार कर रहे हैं।
एनडीएमए, राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन संस्थान, भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण, आईआईटी रुड़की, वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी, नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हाइड्रोलॉजी और सेंट्रल बिल्डिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट के विशेषज्ञों की एक टीम स्थितियों का अध्ययन करेगी और सिफारिशें देगी।
इससे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से टेलीफोन पर आज 8 जनवरी,2023 सुबह बात की।
मुख्यमंत्री ने कहा, प्रधानमंत्री व्यक्तिगत रूप से जोशीमठ की स्थिति और सरकार द्वारा किए जा रहे सुरक्षा कार्यों की निगरानी कर रहे हैं।
उन्होंने कहा, प्रधानमंत्री ने जोशीमठ को बचाने के लिए हर संभव सहायता का आश्वासन दिया।
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