जो करता हूं उसका आनंद उठाता हूं : प्रकाश झा

जो करता हूं उसका आनंद उठाता हूं : प्रकाश झा

नई दिल्ली, 13 अक्टूबर । बॉलीवुड के मशहूर फिल्म निर्माता-निर्देशक प्रकाश झा गंभीर विषयों और सामाजिक व राजनीतिक विषय पर फिल्म बनाने के लिए जाने जाते हैं। फिल्म ‘जय गंगाजल’ से अभिनय की ओर रुख करने वाले प्रकाश झा का कहना है कि निर्देशन हो या अभिनय, वह जिस समय जो काम करते हैं, उस समय उसका भरपूर आनंद उठाते हैं।

वर्ष 1984 में आई अपनी पहली फिल्म ‘दामुल’ में ही प्रकाश झा ने समाज के बीच पंचायत, जमींदारी, सवर्ण व दलित संघर्ष को साहस और प्रयासों के साथ प्रस्तुत किया था। उन्होंने फिल्म उद्योग में पिछले 32 सालों के दौरान अपनी फिल्मों के जरिए राजनीति, अपहरण, आरक्षण जैसे तमाम मुद्दों पर चोट की है और हाल ही में उन्होंने एक गीत का निर्माण कर देश की न्याय प्रणाली पर लोगों का भरोसा बढ़ाने की कोशिश की है।

प्रकाश झा ने राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण (नाल्सा) का गीत ‘एक मुट्ठी आसमां’ तैयार किया है। इस संबंध में वह कहते हैं, “मैंने देश के लोगों के बीच कानून व्यवस्था को लेकर जागरूकता फैलाने के लिए ‘एक मुट्ठी आसमां’ गाना तैयार किया है। इस गीत को बनाने का उद्देश्य भारतीय न्यायपालिका के सभी के लिए न्याय के अधिकार की सोच पर लोगों का विश्वास फिर से कायम कराना है।”

प्रकाश झा प्रोडक्शन्स के अंतर्गत बने इस गीत के बोल हैं, ‘एक मुट्ठी आसमां पर हक हमारा भी तो है/अपने इस हिंदुस्तां पर हक हमारा भी तो है।’

फाइल फोटो : आईएएनएस 

प्रकाश झा बताते हैं, ‘इस गाने के प्रस्ताव के वक्त मुझसे ऐसा गीत बनाने का आग्रह किया गया जो लोगों की जुबां पर ‘मिले सुर मेरा तुम्हारा’ की तरह चढ़ जाए । मैंने इसकी शूटिंग के लिए भारत के कई राज्यों और शहरों की यात्रा की, जहां-जहां भी नाल्सा सक्रिय था, मैंने वहां के लोगों से उनके अनुभव साझा किए। इस गाने की शूटिंग 20 से अधिक राज्यों में की गई है, जिसमें कश्मीर, सिक्किम, राजस्थान, केरल, गुजरात, कर्नाटक, पश्चिम बंगाल और झारखंड शामिल हैं।’

इस गीत के अलावा प्रकाश झा से उनकी वर्तमान और भविष्य की परियोजनाओं के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा, “फिलहाल ‘राजनीति-2’ पर काम कर रहा हूं। इसके अलावा भी एक-दो परियोजनाएं हैं, जिन पर काम कर रहा हूं, हालांकि अभी कुछ तय नहीं हुआ है, इसलिए इस पर ज्यादा नहीं बता सकता।”

प्रकाश से जब पहली बार अभिनय करने के कारण और पर्दे पर दोबारा वापसी के संबंध में पूछा गया तो उन्होंने कहा, “अभिनय का ख्याल मेरे दिमाग में काफी पहले ही आ गया था। राजनीति बनाने के दौरान महूसस हुआ कि मुझे कुछ और रोमांचक और चुनौतीपूर्ण करना चाहिए। मैं काफी सालों से फिल्मों का निर्देशन करता आया हूं, इसलिए मैं इस प्रक्रिया से अच्छी तरह वाकिफ हूं। ‘जय गंगाजल’ की शूटिंग के दौरान हालांकि मैं अक्सर अपने दृश्यों के बारे में पूछता था।”

उन्होंने बताया, “मैंने फिल्मों के निर्देशन के साथ ही अभिनय का लुत्फ भी उठाया है, लेकिन अभी फिलहाल ऐसी कोई योजना नहीं है।”

प्रकाश झा ने ‘दामुल’, ‘मृत्युदंड’, ‘गंगाजल’, ‘अपहरण’ ‘जय गंगाजल ‘ के साथ ही ‘राजनीति’, ‘आरक्षण’, ‘चक्रव्यूह’ और ‘सत्याग्रह’ जैसी बहु कलाकार (मल्टी स्टारर) फिल्में भी बनाई हैं। इसके अलावा वह ‘फेसेस ऑफ्टर द स्टॉर्म’ और ‘सोनल’ जैसे राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त वृत्तचित्रों को भी बना चुके हैं। वहीं, इस साल अपनी फिल्म ‘जय गंगाजल’ से उन्होंने अभिनय की दुनिया में भी कदम रखा है।

फिल्म निर्माण, लेखन, निर्देशन और अभिनय में उन्होंने सबसे अधिक किसका आनंद उठाया है। इस पर वह कहते हैं, “मैंने अपने जीवन में जो भी काम किया, उस समय उस का लुत्फ उठाया। मैंने जिस समय फिल्मों का निर्देशन किया, उस दौरान उसका आनंद लिया, जिस समय अभिनय की दुनिया में प्रवेश किया तो मैंने उस समय अभिनय का आनंद उठाया। मैंने प्रत्येक क्षेत्र में काम करते हुए उस दौरान उस काम का आनंद लिया है और उस समय को भरपूर जिया है।”

प्रज्ञा कश्यप===