नई दिल्ली, 18 मार्च (जनसमा)। ‘‘आतंकवाद और धर्म के बीच किसी भी संबंध को हर हाल में नकारना होगा। जो लोग धर्म के नाम पर आतंक फैलाते हैं, वे धर्म विरोधी हैं।’’ यह बात गुरूवार की शाम प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने चार दिवसीय विश्व सूफी सम्मेलन के उद्घाटन समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में बोलते हुए कही।इसका आयोजन भारत में सूफी दरगाहों के प्रमुख निकाय ऑल इंडिया उलेमा मुशाइख बोर्ड ने किया है, जिसमें अनेक देशों के सूफी विद्वान्, संत और विशिष्टजन भाग लेरहे हैं।
सूफीवाद की चर्चा करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि आप लोग भिन्न-भिन्न देशों और संस्कृतियों से आए हैं किंतु एक आस्था ने आपको बांधा हुआ है। ‘सूफियों के लिए ईश्वर की सेवा करने का अर्थ है मानवता की सेवा करना। ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती के शब्दों में सभी प्रार्थनाओं में वह प्रार्थना भगवान को सबसे अच्छी लगती है जिससे असहाय और गरीबों की मदद हो।’
मोदी ने कहा कि नये वादों और अवसरों की इस डिजिटल सदी में आतंक की पहुंच बढ़ रही है और हर साल 100 बिलियन डॉलर से ज्यादा धनराशि दुनिया को आतंकवादियों से सुरक्षित बनाने पर खर्च करनी पड़ रही है। यह राशि गरीबों का जीवन संवारने पर खर्च हो सकती थी।
प्रधानमंत्री ने कहा कि 2015 में 90 से ज्या्दा देशों को आतंकवादी हमलों का सामना करना पड़ा है।
उन्होंने पड़ोसी देशों और दूर देशों से आए हुए मेहमानों का अभिनंदन करते हुए कहा ‘‘इस समय जब हिंसा की काली परछाइयां बड़ी होती जा रही हैं, तो आप उम्मीद का नूर या रोशनी हैं। जब जवान हँसी को बंदूकें खामोश कर रही हैं, ऐसे समय में आपकी आवाज मरहम है।’’
नरेन्द्र मोदी ने सूफी संस्कृति की व्याख्या की और कहा ‘‘सूफीवाद भारत के खुलेपन और बहुलवाद में पनपा और यहाँ की पुरानी आध्यात्मिक परंपराओं से जुड़कर इसने अपनी एक भारतीय पहचान बनाई।’’
उन्होंने कहा कि इसने भारत की एक विशिष्ट इस्लामिक विरासत को स्वरूप देने में मदद की। इस विरासत को कला, वास्तुकला और संस्कृति के क्षेत्र में देखते हैं जो हमारे देश और सामूहिक दैनिक जीवन के रूप का एक भाग है। हम इसे भारत की आध्यात्मिक और बौद्धिक परंपरा में देखते हैं। इसने भारत की समावेशी संस्कृति को और सशक्त किया जो विश्व के सांस्कृतिक पटल पर इस महान देश का एक बड़ा योगदान है।
प्रधानमंत्री ने कहा ‘‘स्वतंत्रता की भोर में कुछ लोगों ने साथ छोड़ा और मैं मानता हूँ कि यह उस समय की औपनिवेशिक राजनीति से भी जुड़ा हुआ था किन्तु, मौलाना आजाद जैसे महानतम नेताओं, मौलाना हुसैन मदानी जैसे महान अध्यात्मिक नेताओं और लाखों साधारण नागरिकों ने धर्म के आधार पर विभाजन के विचार को नकार दिया था।
उन्होंने कहा कि आज भारत अनोखे, विविध और एकजुट समाज की प्रत्येक विचारधारा वाले प्रत्येक सदस्य के संघर्षों, बलिदानों, वीरता, ज्ञान, कौशल, कला और के गर्व के कारण प्रगति पथ पर आगे बढ़ रहा है। हम सब, हिन्दू, मुस्लिम, सिख, इसाई, जैन, बुद्धवाद, पारसी, धर्म में विश्वास रखने वाले और न रखने वाले सभी भारत के अभिन्न अंग हैं।
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