नई दिल्ली, 5 मार्च (जनसमा)। एक अनुमान के अनुसार पिछले 3 दिनों की ज्वैलरी व्यापारियों की देशव्यापी हड़ताल से लगभग 3 हजार करोड़ रुपये के व्यापार का नुकसान हुआ है वहीं सरकार को 100 करोड़ रुपये की राजस्व की हानि कस्टम ड्यूटी के रूप में हुई है। दूसरी ओर लगभग 24 करोड़ रुपये के राजस्व की हानि वैट कर के रूप में हुई है।
भारत प्रतिवर्ष लगभग 970 मैट्रिक टन सोने का आयात करता है जिसका लगभग 45 प्रतिशत सोना ज्वैलरी बनाने के काम में आता है।
ज्वैलरी विक्रेताओं की हड़ताल पर चिंता व्यक्त करते हुए कन्फेडेरेशन आॅफ आल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने इस मामले में केन्द्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली से सीधेे हस्तक्षेप करने तथा इस कर को वापस लेने का आग्रह किया है।
ज्ञातव्य है कि केन्द्रीय बजट मंे सोने की बिक्री पर 1 प्रतिशत एक्साइज ड्यूटी लगाने के विरोध में देश भर के सोने एवं ज्वैलरी के व्यापारी बुधवार से हड़ताल पर है। कैट के राष्ट्रीय अध्यक्ष बी.सी.भरतिया एवं राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीन खण्डेलवाल ने कहा कि सोने एवं डायमंड ज्वैलरी पर 1 प्रतिशत की एक्साइस ड्यूटी ज्वैलरी व्यापार के लिए घातक होगी, वहीं सरकार को भी राजस्व का बड़ा नुकसान होगा।
कैट ने कहा है कि सन् 1962 में देश में गोल्ड कंट्रोल कानून लगा था जिसकी बंदिशों के कारण भारत में सोने की तस्करी में वृद्धि हुई जिसे सरकार ने बाद में समझा और वर्ष 1990 में गोल्ड कंट्रोल कानून को वापस लिया गया। उक्त कानून के हटते ही देश में सोने के व्यापार में बढ़ावा हुआ और सरकार का राजस्व भी बढ़ा। इससे स्पष्ट है कि जब भी सोने पर करों का दबाव होता है तो सोने की तस्करी बढ़ती है।
कैट ने यह भी कहा की सोने पर कस्टम ड्यूटी, एक प्रतिशत एक्साइज ड्यूटी लगने तथा उसके बाद वैट कर भी लगने के कारण सोने के दामों में वृद्धि होगी और आम आदमी जो अपनी आय की बचत को सोना खरीदकर सुरक्षित निवेश करता है वो भी हत्तोसाहित होगा वहीं दूसरी और सोने के व्यापार में संभावित गिरावट के कारण इस व्यापार में लगे लाखों छोटे कारीगर एवं देश भर में फैले छोटे-छोटे कारोबारियों के सामने रोज़ी-रोटी का संकट खडा होगा।
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