नई दिल्ली, 10 सितंबर | राजधानी, शताब्दी व दुरंतो एक्सप्रेस ट्रेनों में’फ्लेक्सी किराया’ लागू करने को लेकर चौतरफा आलोचना झेल रही केंद्र सरकार अपनी इस पहल को वापस ले सकती है।
जानकार सूत्रों के मुताबिक, केंद्र के इस कदम के खिलाफ विपक्ष ही नहीं, बल्कि पार्टी से भी बगावती सुर उठे हैं।
सूत्रों ने कहा कि रेलमंत्री सुरेश प्रभु ने यह फैसला रेल राज्यमंत्री मनोज सिन्हा के विरोध के वावजूद लिया। सिन्हा ने कहा था कि इसका असर मध्यम वर्ग पर पड़ेगा, जिसका खामियाजा भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को अगले साल पांच राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव में भुगतना पड़ सकता है।
लेकिन प्रभु ने सिन्हा के विरोध को खारिज कर दिया। इसके बाद सिन्हा ने यह मुद्दा प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) और भाजपा अध्यक्ष के समक्ष उठाया, और उन्हें समझाने में कामयाब रहे।
सिन्हा ने तर्क दिया कि रेलवे के वाणिज्यिक लाभ के लिए भाजपा अपना राजनीतिक नुकसान नहीं सह सकती, क्योंकि इस फैसले से मध्यम वर्ग तथा कम आय कमाने वाला एक बड़ा तबका नाराज है, जो यात्रा के लिए हवाई जहाज नहीं, रेल पर निर्भर है।
सूत्रों ने कहा कि इसके बाद शाह ने इस विवादित कदम के नफे-नुकसान के बारे में प्रभु से बातचीत की। प्रभु ने दावा किया कि इस फैसले से रेलवे को 500 करोड़ रुपये का लाभ होगा। प्रभु का यह फैसला शुक्रवार से ही प्रभाव में आ गया।
शाह ने कथित तौर पर यह स्पष्ट किया कि 500 करोड़ रुपये के लिए भाजपा मध्यम वर्ग की नाराजगी का जोखिम मोल नहीं ले सकती, वह भी ऐसे वक्त जब पंजाब, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, मणिपुर व गोवा में विधानसभा चुनाव होने हैं।
राजधानी, शताब्दी तथा दूरंतो एक्सप्रेस ट्रेनों में फ्लेक्सी किराया नौ सितंबर से ही लागू हो गया है, जिसकी घोषणा बुधवार को की गई थी।
नई प्रणाली के तहत प्रत्येक 10 फीसदी बर्थ की बिक्री पर ट्रेन के किराये में 10 फीसदी की बढ़ोतरी होगी। बढ़ोतरी अंत में 50 फीसदी तक पहुंच जाएगी।
सूत्रों ने कहा कि शाह के हस्तक्षेप के बाद ही रेलवे की ओर से इस फैसले को अभी ‘प्रायोगिक तौर पर’ लागू करने की बात कही गई है।
सूत्रों के मुताबिक, पार्टी प्रभु को फैसला वापस लेने का आदेश दे चुकी है। लेकिन इसकी घोषणा सिर्फ इसलिए नहीं की गई, ताकि कहीं यह संदेश न चला जाए कि सरकार को विपक्ष के विरोध के आगे झुकना पड़ा।
कांग्रेस, आम आदमी पार्टी (आप), मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) तथा अन्य विपक्षी पार्टियों ने फ्लेक्सी फेयर के खिलाफ आवाज उठाई है और इसे वापस लेने की मांग की है।
प्रभु के एक और फैसले को लेकर मनोज सिन्हा ने आपत्ति जताई थी। यह फैसला हिंदी सलाहकार समिति के सदस्यों के लिए रेलवे पास रद्द करने से संबंधित था।
सिन्हा ने कथित तौर पर इस मुद्दे को भी शाह के समक्ष उठाया।
कमेटी के अधिकांश सदस्य भाजपा या राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) या इससे संबद्ध संगठनों से हैं।
एक सूत्र ने आईएएनएस से कहा, “फ्लेक्सी फेयर अभी फिलहाल कुछ दिनों के लिए जारी रहेगा। समस्या यह है कि दोनों ही फैसले केवल नौकरशाहों द्वारा दी गई जानकारी के आधार पर लिए गए और इसमें राजनीतिक नफे-नुकसान का आकलन नहीं किया गया था।”–आईएएनएस
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