नई दिल्ली, 21 सितम्बर | सर्वोच्च न्यायालय ने बुधवार को महाराष्ट्र में डांस बार को पुराने नियम एवं शर्तो के साथ संचालित करने की मंजूरी दे दी, जिसमें शराब परोसने की अनुमति होगी और प्रवेश द्वार पर सीसीटीवी कैमरे लगाने होंगे। नए नियमों में डांस बार को 11.30 बजे रात तक ही खोलने की अनुमति दी गई थी, शराब परोसने पर रोक थी तथा डांस बार के अंदर सीसीटीवी कैमरे लगाने थे। न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा और न्यायमूर्ति सी. नागप्पन की खंडपीठ ने कहा, “लाइसेंस धारी लोगों को पुराने नियम एवं शर्तो के मुताबिक अनुमति जारी रहनी चाहिए।”
खंडपीठ ने डांस बारों में शराब परोसने पर प्रतिबंधित करने वाले नए नियमों पर आपत्ति जताते हुए कहा, “आप राज्य में शराब पर रोक लगा दीजिए।”
न्यायमूर्ति मिश्रा ने महाराष्ट्र सरकार से कहा, “किसी के पास एक बार का लाइसेंस है और एक डांस बार है। आप उसे शराब परोसने से रोक नहीं सकते। किसी के पास अगर बार का लाइसेंस है तो आप उसे यह नहीं कह सकते कि आप शराब नहीं परोस सकते। आप महिलाओं के सम्मान के लिए लड़ रहे हैं। आप महिलाओं के सम्मान की रक्षा कीजिए।”
महाराष्ट्र सरकार की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता शेखर नाफाडे ने अदालत से कहा, “राज्य सरकार के पास बार में शराब पर पाबंदी लगाने का अधिकार है और यह (शराब पर पाबंदी का अधिकार) अधिकार न्यायालय द्वारा छीने जाने तक बरकरार रहेगा।”
नाफाडे ने नए नियमों का भी बचावव किया, जिसमें डांस बारों में नृत्य वाली जगह पर सीसीटीवी लगाने की बात शामिल है। उन्होंने कहा कि यह राज्य पुलिस के अधिकार का एक हिस्सा है।
नाफाडे ने कहा, “मेरे पास नियमन का अधिकार है और मेरे पास कानूनों को लागू करने का भी अधिकार है। इसे करने का एक मात्र तरीका सीसीटीवी के जरिए है।”
इस दलील से अप्रभावित खंडपीठ ने कहा, “हम तार्किक और संवैधानिक रूप से पुलिस की शक्तियों को समझते हैं।”
खंडपीठ ने डांस बार मालिकों की तरफ से उपस्थित अधिवक्ता जयंत भूषण से पूछा कि क्या आवश्यकता पड़ने पर आप पुलिस की सहायता के लिए कुछ इंतजाम कर सकते हैं।
भूषण ने अदालत को बताया कि अगर डांस बार के अंदर सीसीटीवी कैमरे लगाए गए तो लोग आना पसंद नहीं करेंगे। उन्होंने कहा, “लोगों के पास गोपनीयता का कुछ अधिकार है।” –आईएएनएस
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