नई दिल्ली, 09 जनवरी (जनसमा)। दिल्ली विश्वविद्यालय के आर्ट फैकल्टी में आज राम मंदिर के बारे में एक संगोष्ठी का आयोजन किया जा रहा है जिसमें इतिहास, पुरातत्त्व सहित अनेक विषयों के जानकार और विद्वान् भाग ले रहे हैं।
संगोष्ठी के आयोजक भाजपा सांसद सुब्रमण्यम स्वामी का कहना है कि राम मंदिर के संबंध में प्रामाणिक दस्तावेज तैयार करने के लिए इस संगोष्ठी का आयोजन किया गया है। इसमें उन सभी को आमंत्रित किया गया है जो राम मंदिर निर्माण के पक्ष में है तथा इसका उद्देश्य उन सभी तथ्यों को सामने लाना है जो पुरातात्त्विक दृष्टि से महत्वपूर्ण हैं।
दूसरी ओर कांग्रेस और वामपंथी दलों से जुड़े छात्र संगठन इसका विरोध कर रहे हैं। इन संगठनों के छात्रों ने आज दिल्ली विश्वविद्यालय के बाहर प्रदर्शन किया और संगोष्ठी के आयोजन का विरोध किया। पुलिस ने हस्तक्षेप किया और कुछ प्रदर्शकारियों को हिरासत में ले लिया है।
अनधिकृत सूत्रों के अनुसार पुलिस ने बल का भी प्रयोग किया है। विश्वविद्यालय प्रशासन का कहना है कि संगोष्ठी के बारे में प्रशासन को जानकारी है किन्तु उसका इससे कुछ लेना-देना नहीं है।
विश्व हिंदू परिषद के प्रवक्ता का कहना है कि संगोष्ठी विशेषरूप से शिक्षाविदों, बुद्धिजीवियों आदि से संबंधित है जो राम मंदिर निर्माण के पक्ष में हैं। इसका किसी राजनीति से लेना-देना नहीं है।
यह ध्यान देने योग्य है कि पिछले दिनों सुब्रह्मण्यम स्वामी ने कहा था कि राम मंदिर जल्दी बनेगा। उनके इस बयान पर अनेक प्रतिक्रयाएं आईं थीं किंतु अब बीजेपी सांसद साक्षी महाराज का कहना है कि 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले राम मंदिर बना कर जाएंगे।
साक्षी महाराज ने राम मंदिर निर्माण के तीन विकल्प सुझाएं हैं। पहला दोनों पक्षों की सहमति से, दूसरा न्यायालय के आदेश तथा तीसरा लोकसभा बहुमत से प्रस्ताव पास करे।
बहरहाल कांग्रेस की टिप्पणी गौरेकाबिल है जिसमें रीता बहुतगुणा जोशी ने टिप्पणी करते हुए कहा है कि जब-जब चुनाव आते हैं, भाजपा राम मंदिर का मुद्दा उछाल देती है।
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