जयपुर, 17 मई (जनसमा)। लाडले की जान पर बन आए तो सबसे ज्यादा उसकी मां ही चिंतित होती है और उसकी जान बच जाए तो मां का तो खुशी का ठिकाना ही नहीं रहता। ऎसा ही कुछ हुआ सोमवार को राजस्थान के अजमेर के राजकीय जवाहर लाल नेहरू चिकित्सालय के शिशु रोग विभाग में। यहां पिछले कुछ दिनों में गम्भीर रूप से बीमार अवस्था में भर्ती कराए गए शिशुओं को डॉक्टरों ने कड़ी मेहनत कर बचा लिया। इन सभी की हालत अब खतरे से बाहर है। इनकी मां और परिजन चिकित्सालय स्टाफ को धन्यवाद देते नहीं थक रहे।
राजकीय जवाहर लाल नेहरु चिकित्सालय के शिशु रोग विभाग में पिछले कुछ दिनों में गम्भीर रूप से बीमार बच्चों को लाईफ सपोर्टिंग सिस्टम एवं चिकित्सकों की गहन देखरेख कर बचाया गया है। यह सभी शिशु असाधारण रूप से बीमार अवस्था में चिकित्सालय में भर्ती कराए गए थे।
मोटा देवी ने 12 दिन पूर्व जब पुत्र को जन्म दिया तो परिवार की खुशियों का ठिकाना नहीं रहा। लेकिन यह खुशी ज्यादा देर तक नहीं रही। जन्म के तुरन्त बाद जब शिशु को टटोला तो उसकी सांस रुकी हुई थी। उसको रूलाने का प्रयास करने के लिए पीठ पर थपकी दी गई। किसी तरह से उसकी सांसें शुरु हुई और चिकित्सक ने परीक्षण किया तो पता चला कि उसको पीलिया का संक्रमण है। जवाहर लाल नेहरु चिकित्सालय के चिकित्सकों ने तुरन्त उपचार शुरु किया। अब यह बच्चा खतरे से बाहर है। मोटा देवी और उनका परिवार चिकित्सालय स्टाफ को धन्यवाद देता नहीं थक रहा।
मधु जोशी का पुत्र मात्र तीन दिन का है। जन्म के साथ ही उसे निमोनिया और सांस की तकलीफ के कारण गम्भीर अवस्था में चिकित्सालय में भर्ती कराया गया। चिकित्सकों ने उसे तुरन्त वेंटीलेटर पर रखा। गहन चिकित्सा एवं उपचार के पश्चात अब बच्चा खतरे से बाहर है।
मोतिया बलाई के नवजात शिशु को निमोनिया के कारण सांस लेने में तकलीफ हो रही थी। उसकी स्थिति लगातार गम्भीर होती जा रही थी। जवाहर लाल नेहरु चिकित्सालय के शिशु रोग विभाग में भर्ती होने के साथ ही उसे ऑक्सीजन पर रखा गया तथा सम्पूर्ण उपचार उपलब्ध कराया गया। अब बच्चे की स्थिति खतरे से बाहर है तथा उसने माता का दूध पीना शुरु कर दिया है।
नाजदा की मात्र दो दिन की बिटिया को निमोनिया और रक्त संक्रमण के कारण गम्भीर अवस्था में चिकित्सालय में भर्ती कराया गया था। लगातार 7 दिन से चिकित्सकों की देखरेख में अब यह बच्ची खतरे से बाहर है।
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