नई दिल्ली, 25 नवंबर। डॉ. विक्रम साराभाई को याद करते हुए राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने कहा है कि वह एक विश्वस्तरीय वैज्ञानिक, नीति-निर्माता और एक संस्था के निर्माता थे जो एक दुर्लभ संयोजन है।
वह देश विकास के लिए एक उपग्रह प्रणाली की उपयोगिता को प्रदर्शित करना चाहते थे। आज, हम उनके सपने के महत्व को तब महसूस करते हैं जब कोविड-19 महामारी स्कूली शिक्षा को बाधित करने में विफल रही है जो दूरस्थ शिक्षा प्रणाली के रूप चल रही है।
राष्ट्रपति ने कहा कि जब जब पूरी दुनिया सैन्य वर्चस्व के लिए अंतरिक्ष का इस्तेमाल कर रही थी तब डॉ. साराभाई ने सोचा कि अपने विशाल आकार और विविधता के कारण भारत के लिए अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी तेजी से विकास के लिए उपयुक्त प्लेटफार्म है।
उन्होंने अंतरिक्ष विभाग और परमाणु ऊर्जा विभाग द्वारा आज (25 सितंबर, 2020) आयोजित किए जा रहे डॉ. विक्रम साराभाई के जन्म शताब्दी समारोह के समापन कार्यक्रम को एक वीडियो संदेश के माध्यम से संबोधित किया।
डॉ. विक्रम साराभाई को याद करते हुए, राष्ट्रपति ने कहा कि कुछ लोग ऐसे हैं जिनका जीवन और कर्म हमारा उत्साह बढ़ाती है। ‘भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम के जनक’ डॉ. विक्रम साराभाई उनमें से एक हैं। वह एक विलक्षण आकर्षण, विनम्रता से भरे हुए व्यक्ति थे, जिन्होंने ऊंची उपलब्धियां हासिल की। वह एक विश्वस्तरीय वैज्ञानिक, नीति-निर्माता और एक संस्था के निर्माता थे जो एक दुर्लभ संयोजन है। उन्होंने अपेक्षाकृत कम समय में यह सब हासिल किया जैसे कि उन्हें पता था कि उनका अंत निकट है। दुर्भाग्य से उनका जीवनकाल बहुत जल्दी समाप्त हो गया। अगर वह लंबे समय तक देश की सेवा कर सकते तो भारत का अंतरिक्षा विज्ञान वहां तक पहुंच जाता कि हमें आश्चर्य होता।
राष्ट्रपति ने कहा कि एक वैज्ञानिक के रूप में, डॉ. साराभाई कभी भी केवल टिप्पणियों से संतुष्ट नहीं होते थे। उन्होंने हमेशा इंटरप्लेनेटरी स्पेस की प्रकृति की बेहतर समझ के लिए प्रयोगात्मक डेटा के पहलूओं पर ध्यान दिया। 1947 और 1971 के बीच राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय विज्ञान पत्रिकाओं में उनके 85 शोध पत्र प्रकाशित हुए।
राष्ट्रपति ने कहा कि डॉ. साराभाई एक बहुत व्यावहारिक व्यक्ति भी थे। उन्होंने अंतरिक्ष क्षेत्र में आगे बढ़ रहे अन्य देशों की तर्ज पर भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम को संचालित नहीं किया। वृद्धि संबंधी तरीका अपनाने के बजाय उन्होंने छलांग लगाना पसंद किया। उन्हें विश्वास था कि भारत जैसे विकासशील देश को उपग्रह संचार में सीधे डुबकी लगानी चाहिए।
राष्ट्रपति ने कहा कि सरकार ने डॉ. साराभाई के जन्म शताब्दी वर्ष में अंतरिक्ष क्षेत्र में सुधारों की घोषणा करके महान वैज्ञानिक को श्रद्धांजलि अर्पित की है।
डॉ. साराभाई की प्रसिद्ध उक्ति है, “हमें मनुष्य और समाज की वास्तविक समस्याओं के लिए उन्नत तकनीकों के इस्तेमाल में किसी से पीछे नहीं रहना चाहिए।” राष्ट्रपति ने कहा कि जब भारत अधिक ‘आत्मनिर्भर’ बनने के लिए प्रयास कर रहा है तब हमें उनके शब्दों के महत्व का एहसास होता है।
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