अरुण बापट====
विकासशील देशों में बुनियादी ढांचे को लेकर काम अनवरत चलता रहता है। देश को अगर विकास के पथ पर अग्रसर रखना है, तो निर्माण कार्य को जारी रखना ही होगा। लेकिन क्या यह कार्य सतत तौर पर जारी रखा जा सकता है? भारत जैसे विकासशील देश के लिए यह प्रश्न बेहद महत्वपूर्ण है।
रेलवे, सड़कों, हवाईअड्डे, स्मार्ट शहरों, बड़ी औद्योगिक इकाइयों, सुपर प्रौद्योगिकी संचार प्रणाली जैसे क्षेत्रों में बुनियादी ढांचे के विकास की अपार संभावनाएं हैं। बुनियादी ढांचे के विकास में एक महत्वपूर्ण तथ्य सिविल निर्माण कार्य है। इसके लिए बालू, मिट्टी, सीमेंट, स्टील मुख्य अवयव हैं।
इन संसाधनों के घटने, पर्यावरण संबंधी प्रतिबंधों तथा स्थिरता की जरूरतों के कारण निर्माण कार्य की कीमतें धीरे-धीरे बढ़ती जा रही हैं।
इन हालातों से निपटने के लिए निर्माण कार्य में विभिन्न बंदरगाहों से भारी मात्रा में प्राप्त तलकर्षक पदार्थो (ड्रेज्ड मैटेरियल) का इस्तेमाल संभव है।
प्रत्येक साल कोलकाता, पारादीप, विशाखापत्तनम तथा चेन्नई जैसे पूर्वी तट के बंदरगाह लाखों टन ड्रेज्ड मेटेरियल का उत्पादन करते हैं। पश्चिमी तट का भी यही हाल है।
जल की विद्यमान गहराई को बढ़ाने, सागर तट से दूर जलक्षेत्रों को नौचालन के योग्य गहरा बनाने और उस गहराई को बनाए रखने के लिए तलकर्षण (ड्रेजिंग) आवश्यक है।
ड्रेज्ड मेटेरियल का इस्तेमाल निर्माण व आवासों के निर्माण में प्राथमिक संसाधनों की जरूरतों को कम कर सकता है। कुछ देश पहले से ही ड्रेज्ड मेटेरियल का व्यापक तौर पर इस्तेमाल करते आ रहे हैं। जापान में अतीत में 90 फीसदी से अधिक ड्रेज्ड मेटेरियल का इस्तेमाल किया जा चुका है।
भारत में अमरावती में आंध्र प्रदेश की नई राजधानी अस्तित्व में आ रही है। अमरावती शहर से लगभग 35 किलोमीटर दूर विजयवाड़ा से गुंटूर के बीच 30 गांवों को नई राजधानी के विकास के लिए चिन्हित किया गया है।
नदी के किनारे स्थित विश्वस्तरीय राजधानी अमरावती एक ऊर्जा कुशल व हरित शहर होगा। यहां तमाम तरह के औद्योगिक केंद्र होंगे। आंध्र प्रदेश सरकार के राजधानी क्षेत्र विकास प्राधिकार ने इसके लिए लगभग 30 हजार एकड़ भूमि का अधिग्रहण किया है।
साल 2018-19 में संभावित तौर पर तैयार 16.7 किलोमीटर इलाके में फैला सीड कैपिटल एरिया (एससीए) लगभग तीन लाख लोगों का आशियाना होगा। व्यापार केंद्र में सरकारी सहित विभिन्न क्षेत्रों में सात लाख लोगों को रोजगार मिलेगा।
शहर में 12 किलोमीटर मेट्रो रेल का एक एकीकृत नेटवर्क होगा, 15 किलोमीटर का बस ट्रांजिट सिस्टम, सात किलोमीटर शहरी सड़कें, 26 किलोमीटर आर्टेरियल व सब-आर्टेरियल सड़कें तथा 53 किलोमीटर लंबी कलेक्टर सड़कें होंगी।
राजधानी शहर की योजना में बुनियादी ढांचा, सिविल इंजिनियरिंग तथा निर्माण गतिविधियों की बड़ी क्षमता निहित है।
पूर्वी तट के बंदरगाहों से निकले ड्रेज्ड मेटेरियल का अमरावती में इस्तेमाल होने की पूरी संभावना है। इसका इस्तेमाल ईंटों के निर्माण में हो सकता है, हालांकि इसके लिए कुछ प्रारंभिक परीक्षण की जरूरत होगी। लेकिन एक बार जब यह उपयोगी साबित हो जाएगी, यह विकास के लिए सबसे टिकाऊ प्रक्रिया साबित होगी।
ड्रेज्ड मेटेरियल का इस्तेमाल कुछ अन्य उद्देश्यों जैसे गड्ढों को भरने, समुद्र तटों को सुंदर बनाने, खनन के परिणामस्वरूप गड्ढों को भरने के साथ ही पार्को, कृषि, वन्य, मत्स्यपालन व बागवानी में इसका इस्तेमाल हो सकता है।
अगर ड्रेज्ड मेटेरियल को अमरावती राजधानी परियोजना के लिए बेचा जाए, तो इससे एक बड़े व्यापार का सृजन होगा। राजधानी परियोजना का विकास तीन चरणों में करने की है और इससे 10 वर्षो से अधिक समय लगेगा। वित्तीय रूप से यह तमाम ड्रेजिंग कंपनियों तथा आंध्र प्रदेश सरकार के लिए बेहद लाभकारी होगा, जो सतत विकास के लिए ड्रेज्ड मेटेरियल का इस्तेमाल करेगी।
इस तरह के सतत विकास के ऐतिहासिक उदाहरण हैं।
बीती सदी के साठवें दशक में प्रयोगशाला में इस बात का परीक्षण किया गया था कि तापीय संयंत्रों से निकला फ्लाई ऐश सीमेंट की जगह ले सकता है या नहीं। सफल परीक्षण में यह बात सामने आई कि फ्लाई ऐश का इस्तेमाल कंक्रीट के निर्माण में हो सकता है। वर्तमान दौर में फ्लाई ऐश ने सीमेंट की एक तिहाई जगह ले ली है।
जब फ्लाई ऐश का इस्तेमाल निर्माण उद्योग में हो सकता है, तो ड्रेजिंग मैटेरियल का क्यों नहीं हो सकता।
–आईएएनएस
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