तकनीक के सहारे संगीत मशीनी गायन जैसा : हरिहरन

गायन में तकनीक के समावेश ने कई गायकों को भले ही रातों-रात प्रसिद्ध बना दिया हो, लेकिन प्रख्यात पार्श्व गायक और गजल गायक हरिहरन का मानना है कि तकनीक की मदद से उत्पन्न संगीत मशीनी गायन जैसा सुनाई देता है।

हरिहरन ने यहां आईएएनएस को दिए एक साक्षात्कार में कहा, “तकनीक की मदद से आप किसी बेसुरे को भी सुरीला बना सकते हैं। आप उनके गीत सुनें, ज्यादातर यह मशीनी गायन जैसा सुनाई देता है क्योंकि बुनियादी तौर पर यह मशीन द्वारा उत्पन्न ऊर्जा है।”

शहर के मॉल ‘फोरम विजया मॉल’ में साप्ताहांत में अपने संगीत कार्यक्रम से इतर उन्होंने कहा, “अगर लोगों को ऐसा संगीत पसंद है, तो हमें इसमें कोई आपत्ति नहीं होनी चाहिए। इन दिनों हम ऐसे संगीत से बच नहीं सकते, इसलिए हमें इसका मजा उठाना चाहिए।”

कर्नाटक शैली के गायकों के परिवार में जन्मे हरिहरन संगीत को अपना पेशा नहीं मानते।

उन्होंने कहा, “यह जिंदगी जीने का तरीका है। संगीत काफी लंबे समय से मेरी जिंदगी का हिस्सा रहा है। मैं 1955 में जन्मा था और जब हम बड़े हो रहे थे, तब कोई बुद्धू बक्सा (टीवी) नहीं था। हम एक सादगी भरे समाज में बड़े हुए जहां ज्यादातर बच्चे या तो खेल या फिर गायन को चुनते हैं।”

उन्होंने कहा, “हर जगह संगीत है। मैंने संगीत कभी केवल सीखने के लिए नहीं सीखा। सौभाग्य से मैं प्रतिभाशाली था, इसलिए मैंने आसानी से संगीत सीख लिया।”

चार दशकों से भी ज्यादा समय से गायन कर रहे 61 वर्षीय गायक ने सभी युवा गायकों के लिए औपचारिक प्रशिक्षण को जरूरी बताया।

उन्होंने कहा, “यह स्कूल जाने जैसा है। सीखने के माध्यम से आप समझ पाते हैं कि आप क्या कर रहे हैं। यह चीजों को ज्यादा आसान बना देता है और आपको अपनी क्षमता पहचानने में मदद करता है।”

उन्होंने कहा, “कुछ लोग जन्मजात प्रतिभाशाली होते हैं, लेकिन आप भले ही जो भी हों, आप तब तक सफल नहीं हो सकते, जब तक कि आप कुछ नया नहीं पेश करते। कुछ लोगों ने संगीत नहीं सीखा होगा, लेकिन इसका यह अर्थ नहीं है कि वे सफल नहीं हो सकते।”

इतने वर्षो में कई कॉन्सर्ट्स में प्रस्तुति दे चुके हरिहरन मानते हैं कि दर्शकों का रुझान विकसित हुआ है। इसका श्रेय वह संगीत आधारित कार्यक्रमों को देते हैं।

उन्होंने कहा, “ऐसे कार्यक्रमों के कारण ही दर्शक सक्रिय रूप से कॉन्सर्ट्स में शामिल होना चाहते हैं। रियलिटी कार्यक्रम लोगों को राग, ताल और स्वर का ज्ञान दे रहे हैं, चाहें उन्हें संगीत की बुनियादी समझ भी न हो। इन दिनों ऐसे कॉन्सर्ट्स में शामिल होना बेहद मजेदार अनुभव होता है, क्योंकि लोग इसमें शामिल होना पसंद करते हैं और वह जो सुनते हैं उसे लेकर अत्यधिक आलोचनात्मक नहीं होते।”

===हरिचरण पुदीपेड्डी