आयकर विभाग ने श्रीनगर में छापा मारकर 1.82 करोड़ रुपए की नकदी और 74.00 लाख रुपए के आभूषण बरामद किये।
आयकर विभाग ने श्रीनगर स्थित तीन करदाताओं के एक समूह पर गुरूवार 22 अक्टूबर, 2020 को तलाशी अभियान चलाया और जब्ती की कार्रवाई की। 15 आवासीय और व्यावसायिक परिसरों की तलाशी ली गई, जिनमें से 14 श्रीनगर में और 1 दिल्ली में स्थित है।
आयकर विभाग के अनुसार समूह, श्रीनगर में रियल स्टेट, निर्माण आर व्यवसायिक और आवासीय परिसरों को किराए पर देने सहित कई व्यवसायों में लगा हुआ है।
इसके अलावा समूह होटल उद्योग, हस्तशिल्प, कालीन व्यापार, आदि का काम करती है।
तलाशी अभियान में आयकर विभाग को इस तलाशी से बेहिसाब 1.82 करोड़ रुपए की नकदी और 74.00 लाख रुपए के आभूषण / जेवरात बरामद की गई है। तलाशी के दौरान अघोषित निवेश और कुल 105 करोड़ रुपए के नकदी लेनदेन का पता चला है।
समूह का श्रीनगर में 75,000 वर्ग फुट का एक बड़ा मॉल है। हालांकि, संबंधित आयकर रिटर्न्स दाखिल नहीं किया गया है। यह भूमि राज्य सरकार से कीमत देकर जम्मू कश्मीर राज्य भूमि ( व्यवसायियों के स्वामित्व का अधिकार) कानून, 2001 (जिसे ‘रोशनी कानून’ के नाम से जाना जाता है) के तहत ली गई है। तलाशी में इस मॉल में 25.00 करोड़ से अधिक अस्पष्ट निवेश के साक्ष्यों का पता चला है।
समूह श्रीनगर में छह आवासीय टावरों का भी निर्माण कर रहा है। इसमें से 50—50 फ्लैट वाले फ्लैटों में से 2 टॉवर, पहले ही पूरे हो चुके हैं और शेष निर्माणाधीन हैं। जिसके लिए आयकर रिटर्न भी दाखिल नहीं किए गए हैं। प्रथम दृष्टया इस परियोजना में 20.00 करोड़ रु का अस्पष्ट निवेश किया गया है।
समूह एक ट्रस्ट के तहत एक स्कूल भी चला रहा है, जो आयकर अधिनियम 1961 के तहत पंजीकृत नहीं है। ट्रस्टियों में से एक ने स्वीकार किया है कि उक्त ट्रस्ट से पर्याप्त नकदी वापस ले ली गई है जिसे अन्य व्यावसायिक उद्देश्यों और व्यक्तिगत खर्चों की ओर मोड़ दिया गया है। प्रथम दृष्टया इस स्कूल की इमारत में लगभग 10 करोड़ रुपये का अनुमानित निवेश है।
तलाशी अभियान में आयकर विभाग को तलाशी में रसीद और विभिन्न परिसरों में 50 करोड़ रु से अधिक नकद राशि के भुगतान के संबंध में स्पष्ट सबूत मिले हैं। तीन लॉकर मिले हैं, जिसे कब्जे में ले लिया गया है। सभी संपत्तियों को मूल्यांकन के लिए संदर्भित किया जा रहा है।
एक इंजीनियरिंग कंसल्टेंट फर्म को भी तलाशी में शामिल किया गया है। जिसका करदाता समूह के लगभग सभी अचल संपत्तियों में हिस्सेदारी थी। यह पता चला है कि 4.00 करोड़ रुपये से अधिक की परामर्श प्राप्तियों के साथ भले ही इसके द्वारा 100 से अधिक मूल्यांकन किए गए हों लेकिन पिछले छह वित्तीय वर्षों में इस फर्म ने कोई आयकर रिटर्न दाखिल नहीं किया है।
इस इंजीनियरिंग कंसल्टेंट फर्म ने घाटी के विभिन्न करदाताओं के संपत्ति को इस तरह से महत्व दिया था कि वे जम्मू-कश्मीर बैंक से अधिकतम ऋण प्राप्त करने के लिए उन संपत्तियों को गिरवी रख सकते थे। ऐसे अधिकांश ऋण बैंक के अनुसार एनपीए बन गए हैं। आगे पूछताछ करने के लिए ऐसी संपत्तियों का विवरण जब्त किया गया है।
मामले की जांच की जा रही है।
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