हैदराबाद, 25 अक्टूबर | राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) ने मंगलवार को कहा कि तीन तलाक का मुद्दा मुसलमानों का अंदरूनी मसला है, लेकिन साथ ही संघ ने स्पष्ट किया कि वह लिंग आधारित पक्षपात के खिलाफ है। आरएसएस के सरकार्यवाह सुरेश जोशी (भैयाजी जोशी) ने कहा कि मुस्लिम समुदाय तीन तलाक के मुद्दे पर चर्चा कर रहे हैं।
भैयाजी जोशी ने तीन दिवसीय अखिल भारतीय कार्यकारी परिषद की बैठक के अंतिम दिन संवाददाताओं से ये बातें कही।
उन्होंने उन मुस्लिम महिलाओं की ओर इशारा किया, जिन्होंने न्याय मांगने के लिए अदालत का दरवाजा खटखटाया है।
उन्होंने कहा, “इस आधुनिक दुनिया में लिंग आधारित अन्याय अच्छी बात नहीं है। हम आशा करते हैं कि उन्हें न्याय मिलेगा। अदालतों को भी इन मामलों पर गंभीरता से विचार करना चाहिए।”
समान नागरिक संहिता पर उन्होंने कहा कि मुद्दे पर काफी बहस हो चुकी है और आरएसएस का यह स्पष्ट रुख है कि कानून को किसी भी प्रकार के भेदभाव को रोकना चाहिए।
उन्होंने कहा, “कुछ परंपराएं हो सकती हैं, लेकिन अगर वे समाज के सांस्कृतिक ताने-बाने को नुकसान पहुंचा रही हैं, तो कानून को उसमें हस्तक्षेप कर उसे खत्म करना चाहिए।”
उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में फायदा उठाने को लेकर राम मंदिर मुद्दा उठाए जाने के आरोपों से इंकार करते हुए भैयाजी जोशी ने कहा कि हिंदुओं की इच्छा है कि अयोध्या में भव्य राम मंदिर बने।
उन्होंने कहा, “लेकिन यह सभी कानूनी अड़चनों के पूरा होने के बाद करेंगे।”
आरएसएस नेता ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) अध्यक्ष अमित शाह ने सम्मेलन को संबोधित किया।
मोदी सरकार के कामकाज पर कोई सीधी टिप्पणी न करते हुए उन्होंने कहा कि लोकतांत्रिक राष्ट्र में आरएसएस एक जिम्मेदार संगठन है और उसे सरकार के कामकाज की समीक्षा करने का अधिकार है।
गौरक्षकों की सुरक्षा का आह्वान करते हुए भैयाजी ने कहा कि गौ संरक्षण केवल एक भावनात्मक मुद्दा नहीं है, बल्कि यह राष्ट्र की ग्रामीण अर्थव्यवस्था से संबंधित है।
उन्होंने कहा, “गौ संरक्षण अवश्य किया जाना चाहिए। गौरक्षकों को सुरक्षा मिलनी चाहिए खासकर गायों का संरक्षण व देसी नस्ल को बचाना चाहिए।”
भारत में पाकिस्तानी कलाकारों पर पाबंदी के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि आरएसएस का मानना है कि कला की कोई सीमा नहीं होती, लेकिन यह हालत सबसे अलग है और इसलिए वह पाबंदी का स्वागत करते हैं।
–आईएएनएस
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