अजीत कुमार शर्मा====रायपुर, 16 अप्रैल | छत्तीसगढ़ में तीरंदाजी का ‘गुरुकुल’ माने जाने वाले शिवतराई में अब अर्जुन और एकलव्य की खोज होगी। बिलासपुर जिले के अचानकमार टाइगर रिजर्व क्षेत्र में आने वाले इस गांव पर खेल विभाग की खास नजर है।
इस साल से शुरू होने वाली बोर्डिग अकादमी के लिए विभाग यहां ट्रायल कैम्प आयोजित करने की तैयारी कर रहा है। इस गांव में आज भी पारंपरिक तौर पर तीरंदाजी की पाठशाला लगती है। अधूरे संसाधनों के बीच तीरंदाजी की शिक्षा लेने वाली कई प्रतिभाओं ने इस गांव से निकल कर राष्ट्रीय स्पर्धाओं में प्रदेश का मान बढ़ाया है।
खेल विभाग के उपसंचालक ओ.पी. शर्मा का कहना है, “हमारी कोशिश अकादमी के लिए अच्छी प्रतिभाएं तलाशना और उन्हें उचित प्लेटफॉर्म देना है। हम शिवतराई में ट्रायल कैम्प लगाने की तैयारी कर रहे हैं। यहां तीरंदाजी की अच्छी प्रतिभाएं हैं, जो कम सुविधाओं में अच्छा प्रदर्शन कर चुकी हैं। जिला अधिकारियों से और भी क्षेत्रों की सूची मांगी गई है।”
सूबे के बिलासपुर-अमरकंटक मार्ग पर बिलासपुर से 40 किलोमीटर दूर आदिवासी बहुल इस गांव में सदियों से पीढ़ी दर पीढ़ी धनुर्धर रह रहे हैं। यहां अब आखेट (शिकार) तो नहीं होता, लेकिन कई दशकों से चली आ रही इस विधा का अभ्यास स्कूली मैदान में आज की पीढ़ी करती दिखाई देती है।
तीरंदाजों ने इस गांव की पहचान बना दी है। यहां लगभग चार दर्जन प्रतिभाएं ऐसी हैं, जिन्होंने राष्ट्रीय स्पर्धाओं में शिरकत की है। हालांकि संसाधनों की कमी के चलते अंतर्राष्ट्रीय स्पर्धाओं में ये प्रतिभाएं नहीं पहुंच सकीं।
खेल विभाग शिवतराई की तरह परंपरागत तीरंदाजी वाले राज्य के और भी क्षेत्रों की तलाश में जुट गया है। जिला खेल अधिकारियों से ऐसे क्षेत्रों की सूची मांगी गई है।
बस्तर से लेकर सरगुजा और जशपुर में ऐसे क्षेत्र ढूंढ़े जा रहे हैं। जशपुर जिले में हॉकी ट्रायल कैम्प के दौरान जशपुर, कुनकुरी, घोलेंग और तपकरा में तीरंदाजी का भी ट्रायल लिया गया और खिलाड़ी भी छांट लिए गए। विभाग ने पहले चरण में जशपुर को टारगेट किया था। अब दूसरे चरण में शिवतराई में कैम्प लगाने की तैयारी चल रही है।
यहां तीरंदाजी विभाग की पहली अकादमी है। पिछले साल खेल दिवस के दिन इसकी शुरुआत हुई थी। पहले साल डे-बोर्डिग स्कीम के तहत यहां खिलाड़ियों को ट्रेनिंग दी जा रही है।
रायपुर के 15 खिलाड़ी डे-बोर्डिग स्कीम के तहत ट्रेनिंग ले रहे हैं। बोर्डिग अकादमी शुरू होने से पहले यहां नया कोच रखने की भी तैयारी चल रही है। विभाग के पास तीरंदाजी का कोई नियमित कोच नहीं है।
बिलासपुर की राष्ट्रीय खिलाड़ी और एनआईएस कोच श्रद्धा सोनवानी वर्तमान में खिलाड़ियों को प्रशिक्षण दे रही हैं। इस सरकारी पहल के बाद उम्मीद की जा सकती है कि सूबे को अर्जुन और एकलव्य जरूर मिल जाएंगे।
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