विदेश मंत्री डाॅ एस जयशंकर ====
जैसा कि आपने मेरे सहयोगियों से सुना है, हमने अभी-अभी तीसरा भारत-यूएस द्विपक्षीय संवाद समाप्त किया है। यह प्रारूप हमारी व्यापक वैश्विक रणनीतिक साझेदारी को दर्शाता है। आज की हमारी बैठक से पहले, मैं विदेश नीति के मुद्दों पर चर्चा करने के लिए कल सचिव पोम्पियो से मिला था । ये दो दिन बहुत लाभदायक रहे हैं और मैं यहां आने के लिए प्रयास करने के लिए अपने समकक्षों को धन्यवाद देता हूं ।
यदि मैं स्वयं ऐसा कह सकता हूं, तो पिछले कुछ वर्षों में हमारे संबंध असाधारण रूप से सकारात्मक रहे हैं। राजनीतिक परामर्श और सहयोग बढ़ा है, रक्षा आदान-प्रदान और व्यापार भी बढ़ा है, आर्थिक बातचीत और वाणिज्य उच्च स्तर पर हैं, विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार में मजबूत भागीदारी है और हमारी ऊर्जा सुरक्षा में स्पष्ट रूप से वृद्धि हुई है। यह भी कम नहीं है कि इस संबंध को परिभाषित करने वाला अद्वितीय लोगों का आपसी संपर्क जीवंत है, चाहे वह प्रतिभा के प्रवाह, शिक्षा या पर्यटन में हो।
नई दिल्ली में 27 अक्टूबर, 2020 को सम्पन्न तीसरी भारत-अमेरिका ‘2+2’मंत्रिस्तरीय वार्ता के बाद विदेश मंत्री डाॅ एस जयशंकर का वक्तव्य
हमने कुछ सीमा तक कोविड -19 चुनौती से निपटने में अपने अनुभवों पर चर्चा की। महामारी के दौरान भी यात्रा की सुविधा बहुत सराहनीय थी। आज, हमारा सहयोग वैक्सीन और परीक्षण के क्षेत्र पर अधिक ध्यान केंद्रित करता है जो सामान्य स्थिति की वापसी के लिए बहुत केंद्रीय हैं। हम अधिक विश्वसनीय और लचीली वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला बनाने के लिए भी प्रतिबद्ध हैं। एक ऐसा भारत जो अब स्वस्थ होने , लचीलेपन और सुधार पर केंद्रित है, वह संयुक्त राज्य अमेरिका के साथ एक विस्तारपूर्ण साझेदारी का स्वागत करता है।
द्विपक्षीय संवाद राजनीतिक-सैन्य एजेंडा है जो हमारे घनिष्ठ द्विपक्षीय संबंधों को दर्शाता है। हमारे राष्ट्रीय सुरक्षा संबंध स्पष्टत: अधिक बहु-ध्रुवीय विश्व में बढ़े हैं। हम आज न केवल अपने हितों को आगे बढ़ाने के लिए बल्कि यह सुनिश्चित करने के लिए भी मिलते हैं कि हमारा द्विपक्षीय सहयोग विश्व परिप्रेक्ष्य में सकारात्मक योगदान देता है। हम एचएडीआर परिस्थितियों से लेकर समुद्री सुरक्षा और आतंकवाद-विरोध तक सभी वैश्विक मुद्दों को एक साथ हल करने के लिए भी प्रतिबद्ध हैं।
जैसा कि आपने मेरे सहयोगियों से सुना है, भारत-प्रशांत क्षेत्र हमारी वार्ता का एक विशेष केंद्र बिंदु था। हमने इस क्षेत्र में सभी देशों के लिए शांति, स्थिरता और समृद्धि के महत्व को बार-बार दोहराया है। जैसा कि रक्षा मंत्री ने कहा है, यह नियमों पर आधारित अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था को बनाए रखने, अंतर्राष्ट्रीय समुद्रों में नौपरिवहन की स्वतंत्रता सुनिश्चित करने, खुली कनेक्टिविटी को बढ़ावा देने और सभी देशों की क्षेत्रीय अखंडता और संप्रभुता का सम्मान करने से ही संभव हो सकता है। एक बहु-ध्रुवीय विश्व का आधार बहु-ध्रुवीय एशिया होना चाहिए।
चर्चाओं में हमारे पड़ोसी देशों के विकास पर भी चर्चा की गई। हमने स्पष्टत: कहा है कि सीमा पार आतंकवाद पूर्णत: अस्वीकार्य है। अफगानिस्तान पर, भारत की सुरक्षा और स्थिरता की स्थिति इस संबंध में अंतर्राष्ट्रीय प्रयासों में योगदान देने की हमारी इच्छा की भांति स्पष्ट है।
भारत 1 जनवरी 2021 से गैर-स्थायी सदस्य के रूप में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में प्रवेश कर रहा है। हम संयुक्त राज्य अमेरिका के साथ मिलकर अन्य बहुपक्षीय मंचों की तरह वहां भी काम करने के लिए तत्पर हैं।
अंत में, मैं सचिव पोम्पियो और सचिव एस्पर को अत्यधिक उपयोगी और लाभदायक द्विपक्षीय संवाद के लिए पुन: धन्यवाद देता हूं।