नई दिल्ली, 29 जनवरी। आज संसद में पेश की गई आर्थिक समीक्षा 2020-21 में कहा गया है कि भारत को तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने के लिए आरएंडडी क्षेत्र में भारी निवेश की ज़रूरत है और इसमें निजी क्षेत्र की भूमिका अधिक जरूरी है।
विशेषज्ञों का कहना है कि अधिकांश भारतीय उद्योग-तंत्र और सरकारी नौकरशाही का नजरिया अभी भी रूढ़िवादी सोच से संक्रमित है और अनुसंधान और विकास के लिए मानस तैयार दिखाई नहीं देता है। अलबत्ता राजनीतिक जुमलेबाजी के लिए यह ख्वाब बहुत अच्छा है।
एक प्रमुख शिक्षाविद का कहना है कि जब तक शिक्षा क्षेत्र में अनुसंधान और विकास पर जोर नहीं दिया जाएगा तब तक रूढ़िवादी सोच नहीं बदल पाएगी।
आर्थिक समीक्षा 2020-21 में कहा गया है कि भारत को तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने के लिए अनुसंधान और विकास (R&D) पर कुल व्यय वर्तमान में जीडीपी के 0.7 प्रतिशत से बढ़ाकर, सकल घरेलू व्यय (Gross Domestic Expenditure) के कम से कम औसत स्तर 2 प्रतिशत से अधिक तक बढ़ाने की आवश्यकता है।
आर्थिक समीक्षा 2020-21 में कहा गया है कि भारत को विशेष रूप से निजी क्षेत्र से तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने के लिए नवाचार पर अधिक जोर देने की आवश्यकता है
आर्थिक समीक्षा 2020-21 में कहा गया है कि भारत को उच्च वृद्धि हासिल करने का रास्ता अपनाने और जीएचडीपी चालू अमरीकी डॉलर में निकट भविष्य में तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने के लिए नवोन्मेष पर अधिक ध्यान देने की आवश्यकता होगी।
इसमें आरएंडडी कर्मियों और देश के अनुसंधानकर्ताओं खासतौर से निजी क्षेत्र के लोगों को उचित तरीके से शामिल करने का आह्वान किया गया है।
आर्थिक समीक्षा में कहा गया है कि सरकारी क्षेत्र का कुल जीईआरडी में काफी बड़ा योगदान है, जो अन्य बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के औसत का तीन गुना है, लेकिन जीईआरडी में व्यावसायिक क्षेत्र का योगदान भारत में सबसे कम है। व्यावसायिक क्षेत्र का अन्य बड़ी अर्थव्यवस्थाओं की तुलना में कुल आरएंडडी कर्मियों और अनुसंधानकर्ताओं को योगदान काफी कम है।
समीक्षा में कहा गया है कि नवोन्मेष पर भारत का प्रदर्शन अपेक्षा के मुकाबले कम रहा है। समीक्षा में इस बात को उजागर किया गया है कि कुल जीईआरडी में व्यावसायिक क्षेत्र का योगदान वर्तमान 37 प्रतिशत से बढ़ाकर 68 प्रतिशत करने की आवश्यकता है। समीक्षा में यह भी सुझाव दिया गया है कि इन क्षेत्रों का आरएंडडी को कुल योगदान क्रमश: वर्तमान 30 प्रतिशत के स्तर और 34 प्रतिशत अनुसंधान कर्मियों के वर्तमान स्तर से बढ़ाकर क्रमश: 58 प्रतिशत और 53 प्रतिशत करने की आवश्यकता है।
भारत मध्य और दक्षिण एशिया में पहले नम्बर पर और निम्न मध्यम आय वर्ग की अर्थव्यवस्थाओं में तीसरे नम्बर पर रहा।
क्या हमरे माननीय सांसद अनुसंधान और विकास के मुद्दे को प्राथमिकता देंगे और सरकार को इस क्षेत्र में निवेश के लिए उत्साहित कर पाएँगे यह आने वाले दिनों में पता चलेगा?
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