मुंबई, 12 मई | देशभर में महिलाओं के लिए ‘वर्जित’ धार्मिक स्थलों में प्रवेश की मुहिम छेड़ने वाली भूमाता ब्रिगेड की अध्यक्ष तृप्ति देसाई और उनकी कार्यकर्ताओं ने गुरुवार सुबह कड़ी पुलिस सुरक्षा के बीच मशहूर हाजी अली दरगाह में इबादत की। तृप्ति ने दरगाह में इबादत करने के बाद दरगाह के न्यासियों को 15 दिनों के भीतर महिलाओं को दरगाह में उस जगह (जहां पीर हाजी अली बुखारी की मजार है) प्रवेश की अनुमति देने का अल्टीमेटम दिया, जहां केवल पुरुषों को जाने की इजाजत है। उन्होंने चेताया कि ऐसा न होने पर वह आंदोलन शुरू करेंगी।
फोटोः तृप्ति देसाई और उनकी कार्यकर्ता 12 मई, 2016 को हाजी अली दरगाह में इबादत करते हुए। (आईएएनएस)
लेकिन, हाजी अली दरगाह के न्यासी सुहैल खांडवानी ने उनकी मांगों को अस्वीकार कर दिया।
खंडवानी ने आईएएनएस से कहा, “हम देश के कानून का पालन करते हैं। वह आज एक आम श्रद्धालु की तरह आईं और उन्हें किसी ने नहीं रोका। जहां तक उनकी मांगों का सवाल है, तो हम ऐसी धमकियों से नहीं डरेंगे।”
तृप्ति और उनकी संस्था की कार्यकर्ता सुबह एक पुलिस दल के साथ दरगाह पहुंचीं।
यहां उन्होंने तय रीति-रिवाजों का पालन किया और दरगाह के पाक स्थल के बाहर पूरी इज्जत से इबादत की, जिसकी दरगाह ट्रस्ट ने उन्हें इजाजत दी थी। कुछ मिनट बाद तृप्ति वहां से चली गईं। उन्होंने दरगाह में जहां इबादत की, वह जगह आंतरिक पवित्र स्थल से महज चार फीट की दूरी पर है।
तृप्ति ने बाद में संवाददाताओं को बताया, “मैंने दुआ मांगी कि महिलाओं को दरगाह के पाक स्थल में जाने की इजाजत मिले, जिस बात की 2011 तक इजाजत थी…हम अगली बार वहां इबादत करने की कोशिश करेंगे।”
तृप्ति ने कहा, “यह धाार्मिक स्थलों पर लैंगिक समानता की लड़ाई है। आज हमने उन जगहों को देखा जहां पुरुषों को जाने की इजाजत है, लेकिन महिलाओं के जाने पर पाबंदी है। दरगाह ट्रस्टी 15 दिनों के भीतर महिलाओं को वहां जाने की अनुमति दे, जहां पुरुषों को जाने की इजाजत है। ऐसा न करने पर हम प्रदर्शन करेंगे।”
संयुक्त पुलिस आयुक्त देवेन भारती ने कहा, “तृप्ति देसाई और अन्य लोग सुबह करीब छह बजे दरगाह आए और इबादत करने के बाद लौट गए। हमने उस जगह पुलिस तैनात की थी।”
तृप्ति व अन्य गैर सरकारी संस्थाओं (एनजीओ) ने 28 अप्रैल को ‘हाजी अली फॉर ऑल’ बैनर तले आंदोलन शुरू किया था, जिसके बाद वह गुरुवार को हाजी अली दरगाह में प्रवेश करने में सफल रहीं।
दरगाह के न्यासियों ने दोहराया है कि महिलाओं को पीर हाजी अली बुखारी की मजार तक जाने की अनुमति देना ‘इस्लाम-विरोधी’ होगा। उन्होंने कहा कि ‘अल्पसंख्यक ट्रस्ट’ होने की वजह से इसे छूट मिलनी चाहिए।
हाजी अली की दरगाह मुंबई के वरली तट के निकट एक छोटे से टापू पर है, जहां सभी धर्मो के लोग श्रद्धाभाव के साथ आते हैं।
भूमाता ब्रिगेड की अध्यक्ष तृप्ति बीते कुछ महीनों में शनि शिंगणापुर (अहमदनगर) व ˜यंबकेश्वर मंदिर (नासिक) में महिलाओं को प्रवेश दिलाने में सफल रही हैं। कोल्हापुर के महालक्ष्मी मंदिर में महिलाओं को प्रवेश दिलाने के आंदोलन में उन्हें आंशिक सफलता हाथ लगी है।
–आईएएनएस
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