रायपुर, 29 जनवरी। छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने कहा है कि प्रदेश के आदिवासी समुदायों में भी पिछले पन्द्रह वर्षों में विकास के प्रति तेजी से जागृति आई है, जिसकी वजह से यह समुदाय भी विकास की मुख्यधारा में जुड़कर तेजी से आगे बढ़ने लगा है। डॉ. सिंह आज राजधानी रायपुर के टिकरापारा स्थित गोण्डवाना भवन में आयोजित राज्य स्तरीय अनुसूचित जनजाति समाज प्रमुखों के सम्मेलन ‘महाबैठका’ को सम्बोधित कर रहे थे।
महाबैठका का आयोजन छत्तीसगढ़ राज्य अनुसूचित जनजाति आयोग द्वारा किया गया। सम्मेलन में राज्य में निवासरत और अधिसूचित सभी 42 जनजातीय समाजों के मुखिया तथा सामाजिक पदाधिकारी शामिल हुए। इस अवसर पर मुख्यमंत्री डॉ. सिंह ने छत्तीसगढ़ राज्य अनुसूचित जनजाति आयोग के पांच वर्षों की उपलब्धियों का सार संकलन ‘दसम् वार्षिक प्रतिवेदन’ का विमोचन भी किया।
मुख्य अतिथि की आसंदी से मुख्यमंत्री डॉ. सिंह ने सम्मेलन को सम्बोधित करते हुए कहा कि छत्तीसगढ़ राज्य के समग्र विकास के लिए समाज के सभी वर्गों के उत्थान के लिए सतत् प्रयास किए जा रहे हैं। जिनमें कमजोर तबकों सहित आदिवासियों के तेजी से विकास पर विशेष जोर दिया गया है। जिसका भरपूर लाभ उठाते हुए आगे बढ़ने में आदिवासी समाज भी अपनी जागरूकता का बखूबी परिचय देने लगा हैं।
डॉ. सिंह ने कहा कि वर्तमान में राज्य के हर क्षेत्र में लोगों को शिक्षा, स्वास्थ्य, बिजली, पानी तथा सड़क जैसी तमाम सुविधाओं की सहज उपलब्धता के लिए अनेक योजनाएं चलाई जा रही हैं, जिससे पूरा प्रदेश विकास की दिशा में निरंतर बढ़ रहा है। मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य के सुदूर वनांचल तक बेहतर आवागमन की सुविधा के लिए बड़े पैमाने पर सड़कों का निर्माण किया जा रहा है।
उन्होंने बताया कि आदिवासी इलाकों में दो हजार करोड़ रुपए के सड़क मार्गो का निर्माण पूर्ण हो चुका है। इसके अलावा दंतेवाड़ा और सुकमा जिले में ही वर्तमान में 70 सड़क मार्गों पर काम जारी है और यहां अगले साल तक 300 सड़क मार्गो का निर्माण होगा। डॉ. सिंह ने कहा कि प्रदेश का सरगुजा इलाका नक्सल हिंसा से मुक्त हो चुका है और बस्तर में नक्सली गतिविधियों में कमी आयी है। बस्तर क्षेत्र के लोग भी अब अपनी समझबूझ और जागृति से विकास के प्रति सहजता से जुड़ाव दर्शाने लगे हैं। वे राज्य सरकार के विकास कार्यों में सहभागिता निभाते हुए पूरी तरह सहयोग कर रहे हैं।
मुख्यमंत्री डॉ. सिंह ने सम्मेलन के आयोजन के लिए आयोग के अध्यक्ष देवलाल दुग्गा के प्रयासों की सराहना की और कहा कि ऐसे आयेाजनों से समाज की गतिविधियों को विस्तार मिलने सहित उनकी समस्याओं का निदान भी हो जाता है। उन्होंने आयोग को हर तीन महीने में राज्य के अलग-अलग हिस्सों में इस तरह के सम्मेलन आयोजित करने का सुझाव दिया।
डॉ. सिंह ने महाबैठका में विभिन्न मुद्दो पर विचार-विमर्श के बाद मिले सुझावों पर राज्य सरकार की ओर से सहानुभूति पूर्वक विचार करने का भरोसा दिलाया। राज्य अनुसूचित जनजाति आयोग के अध्यक्ष देवलाल दुग्गा ने स्वागत भाषण दिया। उन्होंने आयोग की कार्यप्रणाली और प्रमुख गतिविधियों की जानकारी दी।
Follow @JansamacharNews