दरगाह पर डील के लिए गया था एसपी सलविंदर

चंडीगढ़, 20 जनवरी (हि.स.)। पठानकोट आतंकी हमले की अपनी जांच के सिलसिले में एनआईए ने पंजाब पुलिस के एसपी सलविंदर सिंह का पोलीग्राफ जांच (लाई-डिटेक्‍टर टेस्‍ट) किया। समझा जाता है कि एनआईए को सलविंदर से इस घटनाक्रम और आतंकी हमले के बारे में अहम सुराग मिले हैं। एनआईए को सलविंदर सिंह की ‘कहानी’ पर यकीन नहीं है। उसने हमेशा अलग-अलग बयान दिए, जिससे एजेंसी ने उसका पोलीग्राफ परीक्षण किया है।

फाइल फोटो: एस पी सलविंदर सिंह (आईएएनएस)

गौर हो कि एनआईए की एक विशेष अदालत ने सिंह का पोलीग्राफ परीक्षण कराने की सोमवार को अनुमति दे दी थी। यह टेस्ट तीन दिन तक चलेगा। रिपोर्ट्स के मुताबिक सलविंदर का ब्रेन मैपिंग टेस्ट भी करवाया जा सकता है।

पठानकोट हमले से ऐन पहले आतंकियों की ओर से अगवा किए गए एसपी की कहानी का सच सामने आने लगा है। जानकारी के मुताबिक जांच एजेंसियों को पता चला है कि उस रात सलविंदर सिंह अपने कुक मदन गोपाल औैर दोस्त राजेश वर्मा को लेकर बमियाल इलाके की दरगाह पर डील के लिए ही गया था। वहीं का समय दिया गया था। पिछली खेप का पेमैंट लिया जाना था और ताजा खेप आगे पार लगानी थी। लेकिन जो लोग आए, वे ड्रग माफिया की बजाए आतंकी निकले।

सिंह अभी 75वीं पंजाब सशस्त्र पुलिस के सहायक कमांडेंट के पद पर तैनात हैं। सिंह ने दावा किया था कि जेएएम आतंकवादियों ने वायुसेना के पठानकोट स्थित अड्डे पर हमला करने के पहले उनका अपहरण कर लिया था। वह अपने ज्वेलर मित्र राजेश वर्मा और रसोइया मदन गोपाल के साथ यात्रा कर रहे थे जब अपहरण की कथित घटना हुई। आतंकवादियों ने वर्मा के गले को रेत कर लगभग मार दिया था और सिंह तथा गोपाल को छोड़ दिया था। इसके बाद वे पुलिस अधिकारी की गाड़ी में भाग निकले थे। सिंह के बयानों में भिन्नता को देखते हुए एजेंसी द्वारा उनका पोलीग्राफ परीक्षण कराया जा रहा है।

इस बीच एनआईए हमले में छह आतंकवादियों के चेहरों के संबंध में कोई स्पष्ट राय बनाने में नाकाम रही है। एजेंसी ने वायुसेना के अड्डे तक पहुंचने के लिए आतंकवादियों द्वारा संभवत: जिस रास्ते का उपयोग किया गया, उसका खाका खींचा और लोगों से कहा था कि अगर उनके परिसर में लगे सीसीटीवी कैमरों में कोई फुटेज है तो वे उसे साझा करें। सूत्रों ने कहा कि एक नाका चौकी पर संक्षिप्त फुटेज के अलावा एनआईए को कोई अन्य ब्यौरा नहीं मिला है। हालांकि वह फुटेज भी जांच को आगे बढ़ाने में ज्यादा मददगार नहीं है।

एनआईए ने सलविंदर से पूछे ये सवाल
– आप शाम को कितने बजे बाबा की मजार के लिए घर से निकले थे?
– घर से निकलते समय आपके साथ कौन-कौन था?
– आप अपने साथ अपने गनर और ड्राइवर को क्यों नहीं लेकर गए?
– आप बाबा की मजार पर कितने बजे पहुंचे थे?
– आप बाबा सोमनाथ की मजार किस रास्ते से होकर गए?
– आपने लखनपुर होते हुए मजार जाने का रास्ता क्यों चुना जबकि ये बहुत लंबा रास्ता है?
– वापस लौटते समय आप लखनपुर के रास्ते ही क्यों नहीं लौटे?
– आप को आतंकवादियों ने जब रोका तब क्या समय हो रहा था?
– आप मजार से कितने बजे निकले थे?
– मजार से निकने के बाद आप दो घंटे तक कहां थे?
– आपने कहा कि बाबा से पहली बार मिलने गए थे, जबकि आपकी उस दिन दो बार फोन पर बात हुई थी?
– आपने कहा कि कठुआ मोर का रास्ता आपको नहीं पता था, जबकि आपके कुक ने कहा कि आपने ही उस रास्ते से चलने के लिए कहा था?
– आप कुछ दिन पहले तक गुरदासपुर के एसपी थे और आपको उस रास्ते का पता ही नहीं था?
– खुफिया एजेंसियों ने 25 दिसंबर को ही अलर्ट दे दिया था। फिर भी आप उस रास्ते से वापस आ रहे थे, जिस पर खतरा हो सकता था?
– आपको अगवा करके आतंकवादियों ने कहां बैठाया। गाड़ी में आपकी क्या पोजीशन थी?
– गाड़ी के अंदर आतंकवादी क्या बातें कर रहे थे?
– आपको और आपके कुक को आतंकवादियों ने कहा उतारा था?
– एसपी साहब सरप्राइज चेकिंग पर हैं, ये मैसेज किसने फ्लैश कराया था?
– आपकी गाड़ी पर नीली बत्ती लगी थी, क्या आतंकवादियों ने आपसे आपके बारे में पूछा था?
– आतंकवादियों ने जब आपको उतारा तो आप किस गांव में मदद के लिए गए थे?
– आपने पुलिस को कितने बजे कॉल किया था?
– क्या आपने आतंकवादियों के विरोध करने की कोशिश की थी?
– क्या आपके पास आपकी लाइसेंसी पिस्तौल थी?